दीया जलाने से किसी भी पूजा-अनुष्ठान की शुरुआत होती है और इससे दिव्य ऊर्जा का आगमन होता है।
जब अंधेरे कमरे में दीया जलता है, चाहे कमरा कितना भी बड़ा हो, दीये की छोटी सी ज्योति पूरे वातावरण को रोशन कर देती है। अंधकार दूर हो जाता है और सकारात्मकता का प्रवाह आता है।
दीये की रोशनी पूरे कमरे में फैलकर वातावरण को शुद्ध करती है, लोगों को सुकून देती है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
दीये की रोशनी लोगों के लिए एक संकेत भी है कि चाहे समय कितना भी कठिन हो, हमेशा एक रोशनी और आशा का मन में जरूर होनी चाहिए।
ऐसे में जाना जरूरी है किे आपके घर के मंदिर में जो दीया जलाया जा रहा है, वह सही धातु से बना है या नहीं, जिससे सकारात्मकता आकर्षित हो। जानिए किस धातु का दीया सबसे अच्छा होता है।
पीतल का दीया सबसे श्रेष्ठ माना जाता है और 90% भारतीय घरों के मंदिर में इसका इस्तेमाल होता है। माना जाता है पीतल का दीया घर में समृद्धि, धन और स्वास्थ्य लाता है।
चांदी का दीया पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है। इसकी नरम चमक पूजा में सौंदर्य जोड़ती है। चांदी का दीया जलाने से घर में शांति और धन का आगमन होता है, खासकर बड़े अनुष्ठानों में।
तांबे का दीया कम उपयोग होता है, लेकिन इसे सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मकता दूर करने में प्रभावी माना जाता है। तांबा जल्दी जंग पकड़ता है, इसलिए इसे साफ रखना जरूरी है।
मिट्टी का दीया सबसे पारंपरिक होता है, जो सस्ता, पर्यावरण अनुकूल, बायोडिग्रेडेबल होता है। मिट्टी की खुशबू पूजा को शुद्ध बनाती है। यह विनम्रता से समृद्धि की प्रार्थना का प्रतीक है।