प्रेमानंद महाराज को अनेक लोग अपने शहर में प्रवचन के लिए आमंत्रित करते हैं, लेकिन वे वृंदावन छोड़कर अन्य कहीं नहीं जाते। उनकी इस बात के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा है।
एक भक्त ने प्रेमानंद बाबा से कहा कि ‘आपकी बातें सुनकर लोगों में परिवर्तन आ रहा है, आप क्यों वृंदावन से बाहर जाकर प्रवचन नहीं देते। तब प्रेमानंद बाबा ने उसे इसका कारण बताया।
प्रेमानंद बाबा ने कहा कि ‘हमने क्षेत्र संन्यास का संकल्प लिया हुआ है, इस कारण हम वृंदावन छोड़कर अन्य किसी स्थान पर नहीं जा सकते, चाहते हमारी जान ही क्यों न चली जाए।’
विद्वानों के अनुसार ,‘क्षेत्र संन्यास का अर्थ है कि किसी विशेष गांव, शहर या क्षेत्र को छोड़कर अन्य किसी नई जगह पर प्रवेश नहीं करना, चाहे कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो।’
प्रेमानंद बाबा ने क्षेत्र संन्यास के अलावा और भी संकल्प लिए हैं जैसे वे अपने पास पैसा नहीं रखते और न ही बैंक में उनके नाम पर कोई खाता है। आश्रम की व्यवस्था उनके शिष्य देखते हैं।
प्रेमानंद बाबा का एक संकल्प ये भी है कि किसी भी जमीन-जायदाद के कागज पर उनका नाम नहीं होगा। इस नियम का पालन आज भी प्रेमानंद महाराज कर रहे हैं।