इस बार गुड़ी पड़वा का पर्व 30 मार्च, रविवार को मनाया जाएगा। बहुत कम लोगों को गुड़ी और पड़वा शब्द का अर्थ पता है। जानें क्या है गुड़ी और पड़वा का वास्तविक अर्थ…
गुड़ी एक तरह से ध्वज का प्रतीक होती है, जिसे सुख-समृद्धि और विजय का चिह्न माना जाता है। इसे लोग अपने घरों के दरवाजे, खिड़की या बालकनी में लगाते हैं।
गुड़ी बनाने के लिए एक डंडे के ऊपर तांबे या अन्य किसी धातु का का कलश रखा जाता है। इसे चमकदार रंगों की साड़ी या धोती से सजाते हैं। लोटे पर मुंह की आकृति बनाते हैं।
गुड़ी को आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है। मान्यता है गुड़ी को घर में ऊंचाई वाले स्थान पर लगाने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। इसे भगवान ब्रह्मा का प्रतीक भी माना जाता है।
पंचांग के अनुसार, एक महीने में दो पक्ष होता हैं जिन्हें शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहते हैं। इन दोनों पक्षों के पहले दिन को प्रतिपदा कहा जाता है। आम बोलचाल में इसे पड़वा भी कहते हैं।
हर साल हिंदू नववर्ष के पहले दिन यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (पड़वा) पर गुड़ी सजाते हैं इसलिए इस पर्व का नाम गुड़ी पड़वा रखा गया है।