ज्योतिष शास्त्र और पंचांग में कुल 16 तिथियां बताई गई हैं, इनमें अमावस्या तिथि भी एक है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का खास महत्व बताया गया है। इस तिथि के स्वामी पितृ देव हैं।
हिंदू पंचांग में 12 महीने बताए गए हैं। इनमें से प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि आती है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या तिथि का संयोग बनता है।
ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहते हैं। इसके अगले दिन से ही हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत की शुरूआत होती है। इस बार हिंदू नववर्ष 30 मार्च से शुरू होगा।
साल 2025 में भूतड़ी अमावस्या 29 मार्च, शनिवार को है। शनिवार को अमावस्या तिथि होने से ये शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी। इस दिन सूर्यग्रहण भी होगा, लेकिन ये भारत में नहीं दिखेगा।
मान्यता है कि भूतड़ी अमावस्या के दिन निगेटिव शक्तियां यानी भूत-प्रेत अपने उग्र रूप में होते हैं। जिन लोगों पर इनका प्रभाव होता है, उन्हें इस दिन पवित्र नदी में स्नान करवाते हैं।
भूतड़ी अमावस्या पर मध्य प्रदेश के नर्मटा के तट पर धाराजी नामक स्थान पर मेला लगता है। इस दिन यहां लाखों लोग स्नान करने आते हैं। उज्जैन में क्षिप्रा नदी में भी ऐसा ही मेला लगता है।