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Ram Mandir Ayodhya: क्या होता है ‘आरणी मंथन’, इससे कैसे निकलती है आग?

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19 जनवरी को होगा आरणी मंथन

अयोध्या में होने वाले राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। 19 जनवरी को आरणी मंथन कर यज्ञ के लिए अग्नि उत्पन्न की जाएगी। जानें क्या होता है आरणी मंथन…

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वेदों में है आरणी मंथन का वर्णन

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, यज्ञ में आहुति के लिए अग्नि की आवश्यकता होती है। इसके लिए वेदों में एक पद्धति बताई गई है, जिसे आरणी मंथन कहते हैं।

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क्या होता है आरणी?

आरणी लकड़ी से बना एक यंत्र होता है। इसमें शमी और पीपल की लकड़ी का उपयोग होता है। पुरातन समय से यज्ञ की अग्नि उत्पन्न करने के लिए इसी का उपयोग किया जाता है।

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आरणी से निकलती है चिंगारी

आरणी में शमी की लकड़ी का एक तख्ता होता है जिसमें एक छेद होता है। इस छेद पर पीपल की लकड़ी की छड़ी को मथनी की तरह तेजी से चलाया जाता है। इससे चिंगारी निकलती है।

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चिंगारी से बनती है अग्नि

आरणी के तख्ते से निकली चिंगारी को घास में लेकर हवा देकर बढ़ाते हैं। इसी अग्रि का यज्ञ में उपयोग किया जाता है। अरणी में छड़ी के टुकड़े को उत्तरा और तख्ते को अधरा कहते हैं।

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मंत्रों का होता है जाप

जब आरणी यंत्र को मथा जाता है तो अग्निदेव से संबंधित विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे अग्निदेव प्रसन्न होकर वहां प्रकट होते हैं और यज्ञ में आहुति ग्रहण करते हैं।

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पवित्र होती है ये अग्नि

शमी को शास्त्रों में अग्नि का रूप कहा गया है जबकि पीपल को भगवान का। जब इन दोनों के योग से अग्नि उत्पन्न होती है तो इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं, जो शुभ कामों में प्रयोग होती है।

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