बिहार की जाति जनगणना में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा बताई गई है। मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कहा कि इस जनगणना से कई ऐसे आंकड़े मिले हैं, जिससे फायदा मिलेगी।
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जाति जनगणना करने वाली टीम को बधाई दी है। कहा कि यह सिर्फ जातियों की नहीं बल्कि हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का भी खुलासा करता है।
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा कि यह दशकों के संघर्ष के बाद संभव हुआ है। बिहार राज्य के सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं।
बिहार राज्य में पिछड़े वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है। अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है।
बिहार के जातिगत जनगणना में पिछड़ा वर्ग संख्या 3,54,63,936 है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग 4,70,80,514 है। अनुसूचित जाति की संख्या 2,56,89,820 और अनुसूचित जनजाति 21,99,361 हैं।
बिहार जाति जनगणना 2023 के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में सवर्णों की संख्या 15.52 फीसदी है। इसमें ब्राह्मण 3.65 प्रतिशत, भूमिहार 2.86 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत हैं।
बिहार में हिंदू आबादी 81.99 फीसदी और मुस्लिम आबादी 17.70 फीसदी है। राज्य में ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत हैं। अन्य धर्म की आबादी 0.12 प्रतिशत है।
बिहार में यादवों की संख्या 14.26 फीसदी, कुर्मी 2.87 फीसदी, कुशवाहा 4.21 प्रतिशत, बनिया 2.31 प्रतिशत, मुसहरों की संख्या 3.08 प्रतिशत है।
बिहार की जातिगत जनगणना में पिछड़े वर्ग और अत्यंत पिछड़े वर्गों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो कुल आबादी 63 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। बिहार सीएम ने इसकी जानकारी दी है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि यह राज्य के लिए ऐतिहासिक मूमेंट है। बीजेपी ने इसको रोकने की बहुत कोशिशें की लेकिन बिहार की जनता के हित में काम पूरा हुआ।