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पिता ने लिया दहेज तो भड़क उठे थे नीतीश बाबू, ससुरालवालों से कही ये बात

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NDA में किंगमेकर की भूमिका में हैं नीतीश कुमार

NDA में किंगमेकर की भूमिका में आए नीतीश कुमार की पॉलिटिक्स के बारे में तो लोग जानते हैं, लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में कम ही जानकारी है।

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जब दहेज को लेकर पिता पर भड़क उठे थे नीतीश बाबू

कम ही लोग जानते होंगे कि नीतीश कुमार दहेज के सख्त खिलाफ हैं। यहां तक कि दहेज लेने की वजह से वो अपने पिता पर ही भड़क उठे थे।

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नीतीश बाबू के पिता ने तिलक में लिए थे 22000 रुपए

दरअसल, नीतीश बाबू दहेज और बाल विवाह जैसी बुराइयों के सख्त खिलाफ हैं। अपनी शादी के दौरान जब उन्हें पता चला था कि उनके पिता ने तिलक में 22000 रुपए लिए हैं, तो वे बहुत नाराज हुए थे।

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जब नीतीश को पता चला तो उन्होंने ससुरालवालों को लौटाए पैसे

नीतीश कुमार ने फौरन अपने ससुराल वालों को पैसे लौटाते हुए माफी मांगी थी। साथ ही अपने पिता से कहा था कि वो कभी भी दहेज नहीं लेंगे।

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नीतीश कुमार ने कोर्ट में की थी मंजू कुमार से शादी

इसके बाद नीतीश कुमार ने बिना किसी जलसे के साधारण तरीके से कोर्ट में मंजू कुमारी सिन्हा से शादी की थी। यहां तक कि शादी की तारीख और जगह बदलने पर दोबारा कार्ड छपवाए गए थे।

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1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में पैदा हुए नीतीश कुमार

नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम कविराज राम लखन सिंह और मां का परमेश्वरी देवी है।

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बिहार राज्य बिजली बोर्ड में नौकरी कर चुके नीतीश कुमार

नीतीश ने 1972 में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से Bsc में ग्रैजुएशन किया। पढ़ाई के बाद उन्हें बिहार राज्य बिजली बोर्ड में नौकरी मिल गई। हालांकि, वो अपनी नौकरी से खुश नहीं थे।

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नौकरी के बजाय राजनीति में था नीतीश कुमार का झुकाव

नीतीश कुमार का झुकाव राजनीति में था। यही वजह है कि 1974 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा लिया।

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26 की उम्र में नीतीश बाबू ने लड़ा पहला चुनाव

26 साल की उम्र में नीतीश कुमार ने 1977 में हरनौत से 'जनता पार्टी' के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 1980 में वो फिर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन दोबारा हार हुई।

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राजनीति छोड़ने का मन बना चुके थे नीतीश बाबू, लेकिन..

इसके बाद नीतीश ने राजनीति छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन कुछ करीबियों के कहने पर 1985 में हरनौत से विधानसभा चुनाव जीत लिया। इसके बाद तो नीतीश बाबू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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