सैटेलाइट टोलिंग सिस्टम को लेकर वायरल हो रही खबरों पर केंद्र की मोदी सरकार ने तोड़ी चुप्पी। जानें, सच क्या है और क्या वाकई बदलने वाला है आपका टोल सिस्टम?
हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 1 मई 2025 से पूरे देश में FASTag की जगह GPS आधारित सैटेलाइट टोलिंग सिस्टम लागू हो जाएगा।
सड़क परिवहन मंत्रालय (MoRTH) ने स्पष्ट किया कि 1 मई से देशभर में GPS टोल लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मौजूदा FASTag सिस्टम जारी रहेगा।
ये हाइब्रिड टोलिंग सिस्टम 2 तकनीकों से चलता है-
वाहन जैसे ही टोल ज़ोन में पहुंचेगा, ANPR कैमरे नंबर प्लेट कैप्चर करेंगे और RFID से जुड़ा फास्टैग टोल शुल्क को बिना रोके अपने आप काट देगा।
अगर वाहन में फास्टैग नहीं है या बैलेंस नहीं है, तो नंबर प्लेट के ज़रिए वाहन मालिक को ई-नोटिस भेजा जाएगा। जरूरत पड़ने पर फाइन भी लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे जैसे चुनिंदा मार्गों पर इसका ट्रायल हो रहा है। अभी तक इस हाइब्रिड सिस्टम को देशभर में लागू करने की कोई योजना नहीं है।
इस नई प्रणाली का उद्देश्य है:
नहीं, फिलहाल देशभर में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा। आपको अपने FASTag वॉलेट को UPI या बैंक अकाउंट से लिंक करके ऑटो-रिचार्ज चालू रखना चाहिए ताकि सफर के दौरान कोई रुकावट न हो।