पेरिस ओलंपिक में दिग्गजों को पटखनी देकर कुश्ती के फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट का गोल्ड मेडल का सपना टूट गया है। 50 kg की कैटेगरी में 100 ग्राम वजन ज्यादा होने से वह बाहर हो गईं।
विनेश फोगाट ने 9 साल की उम्र में अपने पिता राजपाल खो दिया था। इसके बाद पहलवानी तो दूर पालन-पोषण के भी लाले थे। लेकिन उनके ताऊ महावीर फोगाट ने विनेश को अपनी बेटियों की तरह संभाला।
महावीर फोगाट ने भाई के निधन के बाद दोनों बेटियों प्रियंका और विनेश का पालन-पोषण किया। इतना ही नहीं गीता, बबीता, रितु और संगीता की तरह पढ़ाई लिखाई और कुश्ती की बारीकियां सिखाईं।
हरियाणा ही नहीं अब पूरा देश महावीर फोगाट को जानता है। किस तरह उन्होंने समाज से लड़कर अपनी बेटियों को धाकड़ पहलवान बनाया। उनका संघर्ष आप आमिर खान की दंगल मूवी में देख ही चुके हैं।
महावीर फोगट चारों बेटियां गीता, बबीता, रितु और संगीता कई विश्व चैंपियनशिप भारत को कई मेडल दिलाए। ऐसे में विनेश पर शुरू से ही अपने फोगाट परिवार के सरनेम का दबाव ज्यादा था।
विनेश ने अपनी बहनों की तरह दिन-राथ मेहनत की और फिर एक के बाद एक कई मेडल दिलाए। वह राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता हैं।
विनेश फोगाट भारत की पहले ऐसी महिला पहलवान हैं जो पेरिस ओलंपिक में गोल्ड के लिए दांव लगातीं। लेकिन वजन की वजह से उन्हें ओलिंपिक महिला कुश्ती से अयोग्य घोषित कर दिया गया।