जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध पुरी का जगन्नाथ मंदिर इतिहास में 17 बड़े हमले झेल चुका है, ये हमले 1340(अलाउद्दीन हुसैन शाह) से लेकर 1699(मुहम्मद तकी खान) तक चले
ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में विराजी जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है, कहते हैं कि इनसे ब्रह्म पदार्थ निकलता है
कुछ इतिहासकारों का मानना है का मंदिर की जगह पर कभी बौद्ध स्तूप हुआ करता था, जिसमें गौतम बुद्ध का दांत रखा था, बाद में उसे श्रीलंका पहुंचा दिया गया
बहुत पहले जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं की एंट्री बैन थी, बाली के हिंदू लोगों को भी अंदर नहीं घुसने दिया जाता था, अब ऐसा नहीं है
ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, मंदिर का निर्माण कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव-1174 ने कराया था(पेंटिंग-जेम्स फर्गुसन)
जगन्नाथ मंदिर का मुख्य आकर्षण यहां की किचन है, इसे भारत की सबसे बड़ी कम्यूनिटी किचन कहा जाता है, यहां 500 रसोइए और 300 सहयोगी काम करते हैं
सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह कोहनूर हीरा भगवान जगन्नाथ मंदिर को दान करना चाहते थे, हालांकि यह ब्रिटिश राज ने हड़प लिया
कलिंग शैली के आर्किटेक्चर वाला जगन्नाथ मंदिर 400,000 वर्ग फीट(37000 मीटर वर्ग) में फैला है, जिसके चारों तरफ दीवार है
जगन्नाथजी का मुख्य मंदिर वक्ररेखीय(curvilinear) आकार का है, जिसमे शिखर पर विष्णुजी का सुदर्शन चक्र(8 आरों वाला) मंडित है, इसे नीलचक्र कहते हैं
जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां हैं