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दुनिया के सबसे अमीर मंदिर TTD से हटेंगे नॉन-हिंदू कर्मचारी, जानें वजह

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क्यो लिया गया ऐसा निर्णय?

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने नॉन-हिंदू कर्मचारियों को वायलेंट्री रिटायरमेंट लेने या प्रदेश के अन्य विभागों में ट्रांसफर होने का प्रस्ताव पारित किया है। जानें क्यों।

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दुनिया के सबसे अमीर हिंदू मंदिर के अध्यक्ष ने की पुष्टि

दुनिया के सबसे अमीर हिंदू मंदिर TTD के अध्यक्ष BR नायडू ने इस कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि यह नीति मंदिर की धार्मिक पहचान बनाए रखने के उद्देश्य से लागू की जा रही है।

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कितने कर्मचारियों पर पड़ेगा असर?

टीटीडी के 7,000 स्थायी कर्मचारी हैं। इनमें से लगभग 300 के प्रभावित होने की संभावना है। इसके अलावा ट्रस्ट में कार्यरत 14,000 अनुबंध कर्मचारियों में से भी कुछ पर असर पड़ सकता है।

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धार्मिक पहचान को मजबूत करने का प्रयास

टीटीडी अधिनियम और आंध्र प्रदेश बंदोबस्ती अधिनियम के तहत मंदिर से जुड़े सभी कर्मचारियों को हिंदू धर्म का पालन करना अनिवार्य है। यह कदम उसी दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

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तिरुपति लड्डू विवाद के बीच आया निर्णय

यह निर्णय मंदिर के प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू विवाद के बीच आया है, जब वर्तमान सरकार ने पिछली YSRCP सरकार पर इसे तैयार करने में पशु चर्बी वाले घी उपयोग की अनुमति देने का आरोप लगाया था।

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विवादों के बीच कानूनी आधार

आलोचकों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और रोजगार अधिकारों पर सवाल उठाने वाला कहा है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 16(5) और आंध्र प्रदेश गर्वनमेंट के फैसले से इसे कानूनी समर्थन मिला है।

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TTD के फैसले का स्वागत

TTD के फैसले का स्वागत कर्मचारी यूनियनों ने किया, जो इसे धार्मिक संस्थानों की शुद्धता और परंपरा बनाए रखने का कदम मानती हैं। वहीं आलोचक इसे रोजगार विविधता के लिए चुनौती बताया है।

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प्रथाओं को मजबूत करने में मिलेगी मदद

हालांकि, टीटीडी के फैसले को व्यापक रूप से मंदिर की धार्मिक पहचान और इसकी लंबे समय से चली आ रही प्रथाओं को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है।

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