अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को रांची की जेल में धीमा जहर देकर मार डाला था। उनकी मौत 9 जून, 1900 में हुई थी
बिरसा मुंडा ने 20 साल की उम्र में अंग्रेजों की जमींदारी और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ी थी, इसे उलगुलान आंदोलन कहते हैं
बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को एकजुट करके तीर कमानों से अंग्रेजों की तोप-बंदूकों का मुकाबल किया था
किसी परिचित ने 500 रुपए के लालच में बिरसा मुंडा को अंग्रेजों से पकड़वा दिया था
15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा आदिवासी समुदाय में भगवान की तरह पूजे जाते हैं
1895 तक बिरसा मुंडा आदिवासियों में एक नायक के तौर पर उभर चुके थे
बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जागृत किया था, इसलिए लोग उन्हें धरती बाबा भी कहते थे
मध्य प्रदेश सरकार ने 2 साल पहले बिरसा मुंडा की जयंती यानी 15 नवंबर पर सावर्जनिक छुट्टी का ऐलान किया था