भोपाल में वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा AI टूल 'जेनोबग', जो अदृश्य बैक्टीरिया और जहरीले केमिकल्स को पहचानकर प्रदूषण का हल खोजने में सक्षम है। जानें कैसे करेगा कमाल।
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AI का नया कमाल — ‘जेनोबग’
भोपाल के IISER वैज्ञानिकों ने तैयार किया ऐसा AI टूल जो जहरीले केमिकल्स को पहचानकर उन्हें बायोडिग्रेड कर सकता है। अब AI देगा पॉल्यूशन का सॉल्यूशन।
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क्या है ‘जेनोबग’?
भोपाल के IISER वैज्ञानिकों ने तैयार किया ऐसा AI टूल जो जहरीले केमिकल्स को पहचानकर उन्हें बायोडिग्रेड कर सकता है। अब AI पॉल्यूशन का सॉल्यूशन देगा।
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कैसे करता है काम?
यह टूल मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क और कीमोइन्फॉर्मेटिक तकनीकों का उपयोग करता है। यह अज्ञात बैक्टीरिया और एंजाइम्स की पहचान भी कर सकता है।
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पर्यावरण सुरक्षा में क्रांति
जेनोबग की मदद से वैज्ञानिक पहले से ही प्रदूषण की आशंका को पहचान सकेंगे और तुरंत बायो-रिमेडिएशन की रणनीति बना सकेंगे।
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किन चीजों से करेगा निपटारा?
यह टूल प्लास्टिक, भारी धातु, कीटनाशक, औद्योगिक कचरा और औषधीय अपशिष्ट जैसे प्रदूषकों को पहचानकर उनका जैविक समाधान सुझा सकता है।
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कैसे हुआ निर्माण?
शोधकर्ताओं ने जेनोबग को 3.3 मिलियन एंजाइम अनुक्रम और 16 मिलियन एंजाइम डेटा से प्रशिक्षित किया। इसमें 6,814 सब्सट्रेट्स की भी जानकारी है।
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स्वच्छ पर्यावरण की नई उम्मीद
AI आधारित यह रहस्यमयी तकनीक पर्यावरण संकटों को समझने और हल करने का सशक्त माध्यम बन सकती है। यह भविष्य की दिशा तय कर सकती है।
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वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
IISER भोपाल के प्रोफेसर विनीत शर्मा के अनुसार, “Genobug पारंपरिक तकनीकों की तुलना में ज्यादा सटीक, तेज और किफायती समाधान देता है। प्रदूषण नियंत्रण में गेम चेंजर साबित होगा।”