कोटा बना नोट छापने की फैक्ट्री, चौंकाने वाली है एजुकेशन हब की सच्चाई
Madhya Pradesh Aug 28 2023
Author: Arvind Raghuwanshi Image Credits:social media
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करियर का सपना अब मौत तक पहुंच रहा
देशभर के छात्र कोटा में डॉक्टर या इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते हैं, लेकिन उनमें से कई के हिस्से में मौत आती है। कोटा अब धीरे-धीरे कोचिंग नहीं नोट छापने की मशीन बनता जा रहा है।
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2 लाख बच्चे हर साल आते कोटा
कोटा में हर साल 2 लाख बच्चे नीट और जेईई की तैयारी के लिए आते हैं। वर्तमान में 12 बड़े कोचिंग हैं , इनके अलावा 50 से ज्यादा छोटे कोचिंग है। यहां सबसे बड़ा कोचिंग एलेन है।
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कोटा में छात्र की पढ़ाई पर खर्च होता 5 लाख
कोटा में सामान्य छात्र की पढ़ाई, कोचिंग मैटेरियल, खाना पीना, कमरे का खर्च और कन्वेंस के लिए हर साल करीब ढाई लाख रुपये औसतन खर्च करते हैं। बड़ी कोचिंग में यह खर्च 4 से 5 लाख है।
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कोटा में होता है 5000 करोड़ का कारोबार
कोटा में कोचिंग इंडस्ट्री और रेंटल इंडस्ट्री हर साल 5000 करोड़ से भी ज्यादा का कारोबार करती है। औसतन हर साल कोटा जिले में 50 लाख रुपए की पुस्तक के आसानी से बिक जाती हैं।
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सिर्फ खाने-पीने पर खर्च होता है इतना पैसा
पिछले कुछ समय से सुसाइड के केस बढ़ने के कारण कुछ बच्चों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी रहने लगे हैं । ऐसे में हर महीने खाने-पीने और रहने का खर्च ही ₹15000 महीने तक आ रहा है।
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कोटा कोचिंग का यह खर्च भी अलग से
कोटा में कोचिंग संचालकों ने अपनी यूनिफॉर्म/स्टडी मैटेरियल निकाल रखा है। इसका 30 से 35 हजार रुपए का खर्च अलग से आता है। कई कोचिंग आईपैड और लैपटॉप देते हैं, इनका खर्च 50 हजार अलग…
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कोटा में छात्रों से हर शख्स कमाता
कोटा में हर साल 7 से 8 करोड रुपए तक का कारोबार होता है । मकान और कमरे किराए पर लेने वाले कमाते हैं फिर ट्रांसपोर्ट में भी बड़ा पैसा खर्च होता है। टिफिन सेंटर और खाने-पीने पर भी...