Madhya Pradesh
देशभर के छात्र कोटा में डॉक्टर या इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते हैं, लेकिन उनमें से कई के हिस्से में मौत आती है। कोटा अब धीरे-धीरे कोचिंग नहीं नोट छापने की मशीन बनता जा रहा है।
कोटा में हर साल 2 लाख बच्चे नीट और जेईई की तैयारी के लिए आते हैं। वर्तमान में 12 बड़े कोचिंग हैं , इनके अलावा 50 से ज्यादा छोटे कोचिंग है। यहां सबसे बड़ा कोचिंग एलेन है।
कोटा में सामान्य छात्र की पढ़ाई, कोचिंग मैटेरियल, खाना पीना, कमरे का खर्च और कन्वेंस के लिए हर साल करीब ढाई लाख रुपये औसतन खर्च करते हैं। बड़ी कोचिंग में यह खर्च 4 से 5 लाख है।
कोटा में कोचिंग इंडस्ट्री और रेंटल इंडस्ट्री हर साल 5000 करोड़ से भी ज्यादा का कारोबार करती है। औसतन हर साल कोटा जिले में 50 लाख रुपए की पुस्तक के आसानी से बिक जाती हैं।
पिछले कुछ समय से सुसाइड के केस बढ़ने के कारण कुछ बच्चों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी रहने लगे हैं । ऐसे में हर महीने खाने-पीने और रहने का खर्च ही ₹15000 महीने तक आ रहा है।
कोटा में कोचिंग संचालकों ने अपनी यूनिफॉर्म/स्टडी मैटेरियल निकाल रखा है। इसका 30 से 35 हजार रुपए का खर्च अलग से आता है। कई कोचिंग आईपैड और लैपटॉप देते हैं, इनका खर्च 50 हजार अलग…
कोटा में हर साल 7 से 8 करोड रुपए तक का कारोबार होता है । मकान और कमरे किराए पर लेने वाले कमाते हैं फिर ट्रांसपोर्ट में भी बड़ा पैसा खर्च होता है। टिफिन सेंटर और खाने-पीने पर भी...