MP में 3,400 से अधिक लड़कियां अब भी लापता हैं और पुलिस के ऑपरेशन मुस्कान के बावजूद उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। जानें क्यों बढ़ रही है यह गुमशुदगी की समस्या और क्या है इसका सच।
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हर साल लापता हो रहीं 2500 से ज़्यादा बच्चियां
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हर साल करीब 2,500 बालिकाएं लापता हो रही हैं। पुराने केस मिलाकर आंकड़ा 5,000 के पार पहुंच गया है, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिल रही।
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ऑपरेशन मुस्कान—अधूरा मिशन?
2021 से 2025 तक ऑपरेशन मुस्कान के तहत 14,269 बालिकाएं खोजी गईं, लेकिन अब भी 3,434 केस अनसुलझे हैं। इतने संसाधनों के बावजूद बेटियां क्यों नहीं मिल रहीं?
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पुलिस की थ्योरी—भागकर जाती हैं लड़कियां?
पुलिस कहती है ज़्यादातर बालिकाएं खुद परिवार छोड़ती हैं—कभी प्रेम संबंधों में, कभी नाराज़ होकर, या काम की तलाश में। पर क्या हर केस इतना सरल है?
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सीसीटीवी, मोबाइल डेटा—फिर भी अंधेरा
आज के डिजिटल युग में मोबाइल लोकेशन, CCTV कैमरे और सोशल मीडिया होते हुए भी 3400 बच्चियों का पता नहीं चलना सवाल खड़े करता है। क्या तकनीक भी बेबस है?
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कब टूटेगा ये मौन?
परिजन हर रोज़ उम्मीद में जीते हैं, पुलिस जांच का आश्वासन देती है, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिलता। क्या प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है?
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क्या कभी कोई देगा इन सवालों के जवाब?
मध्य प्रदेश की ये बेटियां किसके साथ हैं, किस हाल में हैं? ऑपरेशन मुस्कान के नाम पर क्या सिर्फ आंकड़ों की बाज़ीगरी हो रही है? अब वक्त है जवाब मांगने का।