6वीं सदी में एक प्रसिद्ध संत पुंडलिक हुए, वे श्रीकृष्ण के साथ-साथ अपने माता-पिता के भी परम भक्त थे, मान्यता है कि एक बार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने आए थे
जब श्रीकृष्ण संत पुंडलिक से मिलने आए, तब वे पिता के पैर दबा रहे थे, पुंडलिक ने उन्हें इंतजार करने को कहा, तब श्रीकृष्ण कमर पर दोनों हाथ रखकर खड़े रहे, उनका यही स्वरूप विट्ठल कहलाया
पंढरपुर स्थित भगवान श्रीकृष्ण का ये मंदिर काफी प्राचीन है, इसके किनारे चंद्रप्रभा या भीमा नदी बहती है, मंदिर परिसर में ही भक्त चोखामेला और संत नामदेव की समाधि है
पंढरपुर का नजदीकी रेलवे स्टेशन कुर्दुवादि है, महाराष्ट्र के सभी शहरों से पंढरपुर सड़क मार्ग से जुड़ा है, नॉर्थ कर्नाटक और उत्तर-पश्चिम आंध्रप्रदेश से भी बसें चलती हैं
पंढरपुर का निकटतम हवाईअड्डा पुणे है, जो यहां से लगभग 245 किलोमीटर की दूरी पर है
मंदिर का निर्माण होयसल साम्राज्य के राजा विष्णुवर्धन ने 1108-1152 ई. के बीच करवाया था, मंदिर में 1237 ई.पू. का होयसल राजा वीरा सोमेश्वर का एक शिलालेख भी है