पटवों की हवेली, राजस्थान की सबसे भव्य हवेलियों में से एक है। यह जैसलमेर के किले के पास स्थित है और अपनी अद्भुत वास्तुकला, जटिल नक्काशी और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
पटवों की हवेली का निर्माण 1805 से 1860 के बीच हुआ था। इसे गुमानचंद पटवा नामक एक अमीर जैन व्यापारी नेअपने पांच बेटों के लिए अलग-अलग हवेलियां बनवाई थीं, जो पटवों की हवेली कहलाती हैं।
पटवों की हवेली पीले बलुआ पत्थर से बनी हुई है। हवेली की दीवारों, खंभों, झरोखों और बालकनियों पर बारीक नक्काशी की गई है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाती है।
हवेली का वर्तमान स्थिति और संग्रहालय आज, पटवों की हवेली का एक हिस्सा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और राज्य सरकार के संरक्षण में है। इसमें एक संग्रहालय भी है।
जैसलमेर आने वाले लगभग हर पर्यटक के लिए यह एक प्रमुख आकर्षण है। यदि आप जैसलमेर घूमने जा रहे हैं, तो पटवों की हवेली को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें।
यह जैसलमेर की गौरवशाली संस्कृति और स्थापत्य कला को दर्शाने वाला एक अद्भुत नमूना है। हवेली में बड़ी संख्या में झरोखे और बालकनी हैं, जो इसे एक अनोखा लुक देते हैं ।
पटवों की हवेली पीले बलुआ पत्थर से बनी हुई है, जो जैसलमेर की अन्य इमारतों की तरह "सोनार किला" प्रभाव देता है