भगवान खाटू श्याम को श्रीकृष्ण का कलियुगी अवतार माना जाता है। उन्हें पांडव पुत्र भीम का पौत्र बताया जाता है। उनका नाम बर्बरीक था।
कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी के दिन भगवान खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बाबा का भव्य शृंगार के साथ मंदिर की भी आकर्षक सजावट की जाती है।
राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम का मंदिर स्थित है। इसके अलावा भी भगवान खाटूश्याम के कई शहरों में मंदिर हैं।
खाटू श्याम का अर्थ है ‘मां सैव्यम पराजित:’ यानी जो हारे और निराश लोगों को संबल प्रदान करता हो। ऐसे में अपनी मनोकामना लेकर रोज लाखों की संख्या में लोग यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं।
महाभारत के बर्बरीक को श्रीकृष्ण ने कलियुग में स्वयं के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। आज खाटू श्याम के नाम से बर्बरीक को पूजा जाता है।
भगवान खाटू श्याम के मंदिर में बने श्याम कुंड में स्नान करने से सारे पाप कट जाते हैं। माना जाता है इसी कुंड भगवान की सिर प्रकट हुआ था।
भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश दान करने के कारण खाटू श्याम भगवान को शीशदानी के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें मोरछीधारी भी कहते हैं।
भगवान खाटू श्याम को विश्व का दूसरा और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी कहा जाता है। उन्हें प्रभु राम के बाद सबसे अच्छा धनुर्धर कहा जाता है। अर्जुन और कर्ण से भी श्रेष्ठ धनुर्धर।