हम बात कर रहे हैं 195 साल पुरानी पतंग और उतनी ही पुरानी चरखी की, जयपुर के पूर्व राज परिवार के म्यूजियम में यह पतंग और चरखी रखी है, जो 1830 से भी पुरानी है।
पतंग को तुक्कल कहा जाता है , जो मोटे कपड़े और बांस से बनाई जाती है। इसे उड़ाने के लिए 12 से ज्यादा डोर को मिलाकर मोटी डोर तैयार की जाती है।
जयपुर के सिटी पैलेस में रखी पतंग देखने के लिए विदेशियों को 4000 और भारतीय पर्यटकों को करीब 1000 तक चुकाने होते हैं। यह शुल्क सिटी पैलेस, जयगढ़ फोर्ट देखने के लिए लिया जाता है।
जयपुर का पूर्व राजघराना हर साल सिटी पैलेस में पतंग उत्सव का आयोजन भी करता है , जिसमें राज परिवार के लोग विदेशियों मेहमानों के साथ पतंग उड़ाते हैं।
म्यूजियम में जो पतंग रखी गई है वह उनके दादा महाराज मानसिंह की है , इस पतंग से उन्होंने कई कंपटीशन जीते थे।
कहां जाता है राज परिवार जब पतंग उड़ाता था, उस समय पतंग कटने पर उसे लूटने के लिए घोड़े इस्तेमाल में लिए जाते थे। जो लूटी हुई पतंग लाता था, उसे इनाम दिया जाता था।