राजस्थान में 23 नवंबर को मतदान होने वाला है। 3 दिसंबर को राजस्थान में मतगणना होगी। ऐसे में छोटे दल बड़ी पार्टियों का खेल बिगाड़ सकती हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार फिर सरकार रिपीट करने का दावा कर रहे हैं।
राजस्थान में दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए सरकार बना पाना इतना आसान नहीं है क्योंकि इस बार इन दोनों पार्टियों के अलावा अन्य कई पार्टियों भी सत्ता के मैदान में आ चुकी है।
गहलोत सरकार रिपीट का दावा कर रहे हैं लेकिन सर्वे में पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पा रहा है।
भाजपा के सामने भी सरकार बनाना इतना आसान नहीं है। सर्वे में भाजपा और विरोध दल कांग्रेस को 80 फीसदी सीट ही मिल पा रही है।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी नागौर और आसपास के जिलों में तीन से चार सीटों पर मजबूत दिखाई दे रही है। सांसद हनुमान बेनीवाल भी क्षेत्र में काफी मजबूत हैं।
आम आदमी पार्टी श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ की एक से दो विधानसभा में कुछ हासिल कर सकती है। अरविंद केजरीवाल की रणीनित यहां कितनी कारगर होगी ये तो वक्त बताएगा।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी इस बार राजस्थान में चुनाव केवल 35 से 40 सीट पर ही लड़ेगी लेकिन यह पार्टी राजस्थान में कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में बड़ा सेंध लगाएगी
पहली बार एकनाथ शिंदे भी शिवसेना को राजस्थान में लेकर आए हैं। कांग्रेस के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा पर उन्होंने दांव खेला है।