नाथद्वारा के श्रीनाथ जी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी काफी धूमधाम से मनाई जाती है। यहां की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा जन्माष्टमी को अन्य मंदिर के आयोजन से कुछ खास बना देती है।
राजस्थान के नाथद्वरारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर में कान्हा को 21 तोपों की सलामी देने की परंपरा है। 400 सालों से यह परंपरा चली आ रही है।
मंदिर में रात 12 बजते ही दो तोपों के जरिए कान्हा को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। ये तोपें नर और मादा नाम से जानी जाती हैं।
यहां भक्त अपने साथ चावल लाते हैं जो जन्माष्टमी पर पूजा के बाद तिजोरी में रखते हैं। मानना है कि चावल के दोनों में श्रीनाथजी की छवि दिखती है और इसे तिजोरी में रखने से समृद्धि आती है।
मिथक है कि मुस्लिम शासक नादिर शाह ने 1793 में इस मंदिर पर हमला किया था। जैसे ही मंदिर में घुसा तो अंधा हो गया। बाद में बिना लूटपाट बाहर निकला तो उसकी रोशनी फिर आ गई।
ब्रज और मेवाड़ संस्कृति की झलक यहां एक साथ देखने को मिलती है। यहां मटकी फोड़ परंपरा भी हर्षोल्लास के साथ निभाई जाती है।