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जन्माष्टमी पर इस मंदिर में कान्हा को दी जाती है 21 तोपों की सलामी

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नाथद्वारा के श्रीनाथ जी मंदिर में अद्भुत होती है कृष्ण जन्माष्टमी

नाथद्वारा के श्रीनाथ जी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी काफी धूमधाम से मनाई जाती है। यहां की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा जन्माष्टमी को अन्य मंदिर के आयोजन से कुछ खास बना देती है। 

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श्रीनाथ जी मंदिर में कान्हा की देते हैं 21 तोपों की सलामी

राजस्थान के नाथद्वरारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर में कान्हा को 21 तोपों की सलामी देने की परंपरा है। 400 सालों से यह परंपरा चली आ रही है। 

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रात 12 बजते ही दो तोपों से दी जाती है सलामी

मंदिर में रात 12 बजते ही दो तोपों के जरिए कान्हा को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। ये तोपें नर और मादा नाम से जानी जाती हैं।

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चावल के दाने तिजोरी में रखने की मान्यता

यहां भक्त अपने साथ चावल लाते हैं जो जन्माष्टमी पर पूजा के बाद तिजोरी में रखते हैं। मानना है कि चावल के दोनों में श्रीनाथजी की छवि दिखती है और इसे तिजोरी में रखने से समृद्धि आती है।

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मंदिर से जुड़े हैं कई मिथक

मिथक है कि मुस्लिम शासक नादिर शाह ने 1793 में इस मंदिर पर हमला किया था। जैसे ही मंदिर में घुसा तो अंधा हो गया। बाद में बिना लूटपाट बाहर निकला तो उसकी रोशनी फिर आ गई।   

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ब्रज और मेवाड़ संस्कृति का संगम

ब्रज और मेवाड़ संस्कृति की झलक यहां एक साथ देखने को मिलती है। यहां मटकी फोड़ परंपरा भी हर्षोल्लास के साथ निभाई जाती है। 

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