अयोध्या में लाखों श्रद्धालु पहुंचे हैं। भव्य रामनवमी आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं।
सूर्यवंशी रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं – यही है दिव्य सूर्य तिलक की परंपरा।
एक विशेष तकनीक से सूर्य की किरणें मंदिर शिखर से रामलला के ललाट तक लाई जाती हैं।
3 दर्पण और पीतल की पाइप से बना हाईटेक सिस्टम – सूर्य की किरणें सीधी रामलला तक पहुंचती हैं।
रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर पड़ेंगी – यही है शुभ घड़ी।
20-30 लाख भक्तों की भीड़ को संभालने के लिए अयोध्या को जोन और सेक्टर में बांटा गया है।
सूर्य तिलक का ये दृश्य भक्तों की आस्था को और भी गहरा कर देता है यह एक अद्भुत आध्यात्मिक क्षण होता है।