इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद ASI की टीम 4 अगस्त से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करेगी, इस बीच बौद्ध समाज का दावा है ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद नहीं, उनका मठ था
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे कर रही है, टीम में 61 सदस्य हैं, पिछली बार की तुलना में 40 सदस्य अधिक
सर्वे के लिए ज्ञानवापी परिसर को 4 ब्लॉक में बांटा गया है, चारों तरफ कैमरे लगाए हैं और वीडियोग्राफी होगी,
ASI के सर्वे में ज्ञानवापी की पश्चिम दीवार पर स्पेशल फोकस है, इसकी बारीक स्कैनिंग होगी, इसी दीवार पर हिंदू धर्म से जुड़ीं कलाकृतियां हैं
ASI को ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की 3 अगस्त को अनुमति मिली थी, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है
सर्वे में ASI खुदाई नहीं करेगा, ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार (जीपीआर) तकनीक इस्तेमाल होगी, यानी रेडियो वेव की फ्रीक्वेंसी के जरिये पता किया जाता है कि जमीन या दीवार के अंदर क्या है?
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान ASI की 20 सदस्यीय टीम के अलावा हिंदू पक्ष की चार वादिनी महिला, उनके चार वकील मौजूद रहेंगे, मसाजिद कमेटी ने शामिल होने से मना कर दिया है
काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में पहली बार 1991 में वाराणसी कोर्ट में केस पहुंचा था, हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई थी
मस्जिद कमेटी के इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचने पर 1993 में यथास्थिति के आदेश हुए थे
वर्ष, 2019 में वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी केस पर फिर से सुनवाई शुरू हुई, जो अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है