पौष पूर्णिमा से महाकुंभ की हुई शुरूआत हो गई है। सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए संगम तट पर पहुंच रहे हैं।
कड़ाके की ठंड में जहां लोग स्वेटर टोपी और कंबल में लिप्टे नजर आते हैं, वहीं नागा साधु शरीर पर भस्म लगाकर बिना कपड़ों के नजर आते हैं।
नागा साधुओं को ठंड क्यों नहीं लगती? इस बारे में हर कोई जानना चाहता है। आइए जानते हैं ठंड में कैसे रहते हैं नागा साधु?
नागा साधु माइनस तापमान को माथे पर शिकन के बिना सहन कर लेते हैं। मेडिकल साइंस भी कहता है कि कोई भी इंसान -20 डिग्री सेल्सियस तापमान में सिर्फ 2.30 घंटे ही जीवित रह सकता है
लेकिन नागाओं ने मेडिकल साइंस को गलत साबित कर दिया है। नागाओं को ठंड नहीं लगने के पीछे क्या कारण है?
ऐसा कहा जाता है कि नागा साधु अपनी साधना की शक्ति से सर्दी और गर्मी पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। वे 3 तरह की साधना करते हैं जो उन्हें हर मौसम में जीवित रहने में मदद करती है।
पहली है अग्नि साधना, दूसरा है नाड़ी शोधन और तीसरा है मंत्रों का जाप करके अपने शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जिससे शरीर में गर्मी पैदा होती है, उन्हें ठंड कम ही लगती है।
इसके अलावा नागा जो भस्म अपने शरीर पर लगाते हैं वो इंसुलेटर का काम करती है। जो तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
महाकुंभ ये बाद ये कहां विलुप्त हो जाते हैं ये कोई नहीं जानता।