अयाेध्या में भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को है।
शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में होगा। प्राण प्रतिष्ठा के पहले शुभ संस्कारों की शुरुआत 16 जनवरी से होगी, जो 21 जनवरी तक चलेगी।
16 जनवरी: प्रायश्चित्त-कर्मकूटि पूजन, 17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश, 18 जनवरी (शाम): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास, गंधाधिवास, 19 जनवरी (सुबह)औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
19 जनवरी (शाम): धान्याधिवास, 20 जनवरी (सुबह): शर्कराधिवास, फलाधिवास, 20 जनवरी (शाम): पुष्पाधिवास, 21 जनवरी (सुबह)मध्याधिवास, 21 जनवरी (शाम): शय्याधिवास।
प्राण-प्रतिष्ठा में 7 अधिवास होते हैं और न्यूनतम 3 अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे।
श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे। काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।
प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में होगी।
भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत भी उपस्थित रहेंगे।
नागा साधु, 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।
शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णुनामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ी, कबीरपंथी, वाल्मीकि परंपराएं भाग लेंगी।
इसके अलावा शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा भी प्राण-प्रतिष्ठा में मौजूद रहेंगी।
ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएं भी राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होंगी।
गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद सभी साक्षियों को दर्शन कराया जाएगा। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में उत्साह का भाव है।