UP में शिक्षा विभाग की ओर से बड़ा कदम उठाते हुए 27,764 से ज्यादा स्कूलों के बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जानें कैसे यह स्टेप शिक्षा संसाधनों को सुव्यवस्थित करने कोशिश है।
यह निर्णय राज्य के शिक्षा संसाधनों को सुव्यवस्थित और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है, खासतौर पर ऐसे विद्यालयों के लिए जिनमें इनरोल्ड छात्रों की संख्या 50 से कम है।
शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने समीक्षा बैठक में सभी BSA को निर्देश दिया कि वे इन कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का मूल्यांकन करें और उनके संभावित विलय की तैयारी करें।
इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य उन विद्यालयों का पास के बड़े स्कूलों में विलय करना है, जहां छात्रों की संख्या अधिक है। इससे शैक्षिक संसाधनों का प्रभावी उपयोग में मदद मिलेगी।
वर्तमान में UP में ऐसे 27,764 स्कूल हैं, जहां 50 से कम छात्र नामांकित हैं। इस कंसोलिडेशन प्लान के तहत इन विद्यालयों के छात्रों को आसपास के अन्य स्कूलों में समायोजित किया जाएगा।
ताकि उनकी शिक्षा में कोई रुकावट न आए। बीएसए को निर्देशित किया गया है कि वे 14 नवंबर तक इस प्रक्रिया के बारे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
समीक्षा बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और स्कूलों को अधिक प्रभावी एवं व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
साथ ही शिक्षा अधिकारियों को एक स्ट्रक्चर तैयार करने काे कहा गया है, जिसमें लोकल एवं जॉगफ्रिकल फैक्टर्स जैसे- परिवहन, छात्रों की पहुंच और राजमार्गों की स्थिति का भी ध्यान रखा जाएगा।
इसके अलावा प्रत्येक स्कूल को अपनी वर्तमान स्थिति का डिटेल देते हुए एक संक्षिप्त रिपोर्ट देनी होगी। सभी प्रभावित स्कूलों की एक समग्र सूची तैयार की जाएगी।
इस लिस्ट को जिला समीक्षा के लिए संकलित किया जाएगा। इस योजना की प्रगति का जायजा लेने के लिए 14 नवंबर को सभी बीएसए के साथ एक फॉलोअप मीटिंग भी निर्धारित की गई है।