यूपी की बिजली कंपनियों को अब 9 हजार नहीं बल्कि पूरे 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जिससे संकट और गहरा हो गया है।
पहले 15% तक बढ़ोतरी का अनुमान था, लेकिन अब पावर कॉर्पोरेशन 25 से 30% तक बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी में है।
बिजली कंपनियों ने घाटा बढ़ने पर पुनः संशोधित एआरआर आयोग में दाखिल किया है, जिससे दरों की समीक्षा फिर से शुरू हो सकती है।
पहले दाखिल एआरआर में 9,206 करोड़ घाटा था, लेकिन संशोधित प्रस्ताव में अब यह आंकड़ा 25 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।
बिजली कंपनियों का तर्क है कि 100% बिल वसूली संभव नहीं, ऐसे में दरें बढ़ाकर घाटे की भरपाई की जानी चाहिए।
जानकारी के अनुसार सिर्फ 80% या उससे कम उपभोक्ताओं से ही बिजली बिल की वसूली हो पा रही है, शेष धनराशि बकाया है।
आयोग अब राजस्व गैप की बजाय बिजली कंपनियों की वास्तविक वसूली के आधार पर बिजली दरों का निर्धारण कर सकता है।
यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, अब संभव है बड़ा झटका।
यदि आयोग ने 30% बढ़ोतरी मानी तो आम आदमी के बिजली बिल में भारी इजाफा तय है। जेब पर पड़ेगा सीधा असर।
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