इजरायल और ईरान के बीच जंग के हालात बन चुके हैं। हमास प्रमुख की हत्या के बाद इस्लामिक राष्ट्र गोलबंदी कर रहे हैं। हालांकि इजरायल अकेला ही इन सब पर भारी पड़ सकता है।
इजरायल केवल हथियारों के दम पर ही नहीं, बल्कि खेती-किसानी में भी महारत हासिल कर चुका है। डेरी, फिश फॉर्मिंग में भी ये देश विकसित मुल्कों का गुरू बन चुका है।
इज़राइल के पास बहुत कम पानी है। वह एग्रीकल्चर फील्ड में ड्रिप, इंजेक्शन टेक्नीक का इस्तेमाल करता है। इसका बहुत पॉजिटिव असर देखने को मिलता है। खेत में खरपतवार ऑटो कंट्रोल हो जाती है
agriculture इंजीनियर सिम्चा ब्लास ने इजरायल में आमूलचूल चेंजेस किए हैं। पानी की भीषण कमी के बावजूद किसान साल में 3 फसलें लेते हैं।
इजरायल में वेयर हाउस को वाटर और एयरफ्रूफ बनाया जाता है। जिससे इसमें कीड़े लगने की गुजाइश नहीं रहती है। अब अफ्रीका में इसी टेक्नीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है।
इज़राइल रासायनिक से ज्यादा नेचुरल फर्टिलाइजर का ज्यादा इस्तेमाल करता है। यहां ऐसी दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को मारती है।
इन दवाइयों से तितली, भौंरों को कोई नुकसान नहीं होता। दुनिया के 30 से ज्यादा देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
इज़राइल ने डेरी फार्मिंग में जबरदस्त तरीके से काम किया है। पशुओं का खानपान, रहवास के जरिए दुग्ध उत्पादन में भारी बढोतरी हुई है। अब चीन भी इसे फॉलो कर रहा है।
इज़राइली किसानों के लिए साइंटिस्ट ने साफ्टवेयर डेव्लप किया गया है। हर नई टेक्नीक को ये फॉर्मर इस्तेमाल करते हैं। जिससे इसकी पैदावार में बढोतरी होती है।
इजरायल रात में आसमान से गिरने वाली ओस की बूंद का भी सही तरीके से इस्तेमाल करता है। वो ट्रे लगाकर इसे संरक्षित करता है, फिर ड्रेप के जरिए फसलों की जड़ तक इसे पहुंचाया जाता है।
इज़राइल में जलभंडार ना के बराबर हैं। पानी की कमी की वजह से मछली पालन की नई टेक्नीक ने दुनिया का ध्यान खींचा है। जीरो डिस्चार्ज टेक्नीक से यहां ड्रमों में फिश फॉर्मिंग की जाती है।