ISRO ने 16 अगस्त को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्पेस एजेंसी ने स्मॉल satellite Vehicle D-3 को लॉन्च किया है।
ISRO का लोहा नासा सहित यूरोपीय एजेंसी भी मानती हैं। किफायती होने की वजह दुनियाभर के देश अपने सैटेलाइट इसरो के जरिए ही अंतरिक्ष में भेजते हैं।
साल 1969 में ISRO की नींव रखी गई थी। इसका हेड क्वार्टर बेंगलुरु में है।
ISRO अपने उद्देश्य में पूरी तरह खरा उतरा है। ये एजेंसी स्पेस टेक्नालॉजी के जरिए भारत के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है।
ISRO ने साल 1975 में अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया था। इसके बाद इस स्पेस एजेंसी वापस मुड़कर नहीं देखा ।
ISRO ने चंद्रयान-1 के जरिए से चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा हटाया था । वहीं चंद्रयान 2 ने इसके अनदेखे हिस्से के बारे में अहम जानकारियां जुटाई हैं।
मंगलयान मिशन के जरिए इसरो ने मंगल ग्रह पर अपना सैटेलाइट भेजा था, 298 दिनों का सफर तय करके इसे 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया था।
ISRO ने जीएसएलवी मार्क-3 के जरिए से अपना पहला human space mission लॉन्च किया है।
ISRO के पास अपना खुद का लॉन्चिंग व्हीकल है, जो विदेशों के कई उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है। इस एजेंसी ने एक बार में सबसे ज्यादा उपग्रह भेजने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है।
ISRO के पास अपना डेव्लप किया रॉकेट इंजन है। खुद की लेबोरेटरी है। नासा की साइंटिस्ट कल्पना चावला को इसरो ने ही ट्रेंड किया था।