सुपरमून यानि धरती से दिखने वाला सबसे बड़ा और चमकीला चांद, आज यानि 17 अक्टूबर को देखा जा सकता है।
पूर्णिमा का चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो उसे सुपरमून कहा जाता है। पूरा चांद पूर्णिमा और अमावस्या दोनों दिनों में हो सकता है। बस अमावस्या को दिखाई नहीं देगा।
नासा के पूर्व खगोल भौतिकीविद् फ्रेड एस्पेनक के मुताबिक गुरुवार की रात पृथ्वी से लगभग 222,000 मील की दूरी पर पेरिगी हो सकती है।
“पूर्णिमा या अमावस्या तब सुपरमून बन जाती है जब यह पेरिगी (चंद्रमा अपनी कक्षा के भीतर पृथ्वी के सबसे करीब आ जाता है) पर होता है।
वैज्ञानिकों के मतों के अनुासर गुरुवार रात 11.55 बजे चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होगा। यह लगभग 3,51,519 किलोमीटर दूर होगी।
चंद्रमा अपने इस चरण 30 अक्टूबर को पृथ्वी से सबसे दूर होगा। यह दूरी बढ़कर 4,06,161 किलोमीटर हो जाएगी।
17 अक्टूबर को साल के चार सुपरमून में से तीसरा होगा। अगला सुपरमून 15 नवंबर को दिखाई देगा।''
लखनऊ में इंदिरा गांधी तारामंडल और यूपी एमेच्योर एस्ट्रोनॉमर्स क्लब ने मिलकर चार बड़ी दूरबीनों से सुपरमून देखने का इंतजाम किया है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष डिपार्टमेंट के अभिनव गुप्ता भवन में दूरबीनों से फ्री में चंद्रमा देखा जा सकता है। जाएँ।
सुपरमून के दिन आकाशीय वस्तु लगभग 40% बड़ी और 30% ज्यादा चमकीली दिखाई देती है। इसे हंटर मून भी कहा जाता रहा है। अतीत में अक्टूबर महीने में शिकारी जंगलों में शिकार के लिए जाते थे।