महिलाओं को पब्लिक प्लेस पर फुल कवर्ड रहना पड़ता है। बुर्के में केवल आंखों की जगह खुली रहती है, इसमें भी जाली लगाने को कहा गया है।
बच्चियों को प्राथमिक शिक्षा ही दी जाती है। दरअसल वे मिडिल क्लास पढ़ पाए, इससे पहले ही उनकी निकाह करा दिया जाता है। लड़कियों को हायर एजुकेशन की परमिशन नहीं है।
महिलाओं को घर से बाहर काम करने की मनाही है। केवल सिलेक्टेड जगहों पर ही फीमेल वर्कर को रखा जाता है।
चुनिंदा जगहों पर जहां महिलाओं की तैनाती की जाती है, वहीं भी उनके साथ एक पुरुष रिश्तेदार होना चाहिए।
तालिबान के नियमों के मुताबिक महिलाओं को यात्रा करने के लिए घर के पुरुष की अनुमति लेना कंपलसरी है।
महिलाओं को अपनी मर्जी से शादी करने की छूट नहीं है, वे केवल उसी से निकाह कर सकती है, जिसके लिए उसके पिता या दूसरे बड़े रिलेटिव चुनेंगे।
महिलाएं अपने इलाज के लिए भी पुरुषों की अनुमति लेनी होती है। यहां तक की डिलीवरी के लिए भी कुछ नियम- कायदे बनाए गए हैं।
महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी और इस पर फैसले लेने से बाहर रखा गया है।
महिलाएं किसी गेम्स में पार्टीसिपेट नहीं कर सकती हैं। फिल्में देखने या खुद को एंटरटेन करने वाली एक्टिविटी में शामिल नहीं हो सकती है।
तालिबान के नियमों के खिलाफ जाने पर महिलाओं को कड़ी सजा का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनकी पब्लिक प्लेस पर कोड़ों से पिटाई, कारावासऔर मौत तक की सजा दी जाती है।