बारिश के दौरान अक्सर आसमान से गड़गड़ाहट के साथ बिजली चमकती है। जमीन पर गिरकर यह जानलेवा बन जाती है।
वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बताया, बादलों में छोटे-छोटे पानी के कण वायु की रगड़ से आवेशित होते हैं। पॉजिटिव-निगेटिव चार्ज वाले बादलों के मिलने से बिजली बनती है।
बिजली पैदा होने के बाद बादलों के बीच जगह करंट बहने से चमक पैदा होती है। करोड़ों कणों के आपस में टकराने से थंडर बादलों में गर्जना पैदा होती है।
प्रकाश की गति ध्वनि से तेज करीब 3 लाख किमी प्रति सेकेंड होती है, जबकि ध्वनि की गति सिर्फ 332 मीटर प्रति सेकेंड ही होती है।
चार्ज बादल किसी ऊंचे पेड़ या बिल्डिंग के पास से गुजरती हैं तो विपरीत चार्ज पैदा होता है और आकाशीय बिजली बिल्डिंग या पेड़ में बहने लगती है, जिसे बिजली गिरना कहते हैं।
पेड़ के नीचे रहने वालों, खेतों में काम करने वाले, नदी-तालाब में नहाते वक्त, खुले आसमान में आकाशीय बिजली का खतरा ज्यादा रहता है।
बिजली चमकने पर बिजली उपकरणों से दूर रहें, तार वाला टेलीफोनन यूज करें। खिड़की-दरवाजें बंद कर दें। छत और बरामदे में न रहें। पानी से दूर रहें।
जब आसमान में बिजली चमके तब अगर सिर के बाल खड़े हो जाएं, त्वचा में झुरझुरी होने लगे तो ये संकेत है कि आसपास बिजली गिरने वाली है।
2019-20 में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौत 25-31 जुलाई तक हुई थी। भारत में 4 लाख से ज्यादा बार बिजली गिरने की घटनाएं हुई थी।