तुआतारा (Tuatara) का साइंटफिक नाम Sphenodon punctatus है। ये Sphenodontia प्रजाति का एकमात्र जीवित सदस्य है, तकरीबन 200 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर काल में पूरी पृथ्वी में मौजूद था।
तुआतारा की लेंथ लगभग 24 से 31 इंच तक हो सकती है। इसका वजन 1 किलो (2.2 पाउंड) तक हो सकता है।इसका रंग हरा-भूरा हो सकता है।
तुआतारा के पास "तीसरी आँख" होती है, जिसे parietal eye कहा जाता है। यह सिर के टॉप पर होती है। वे इसका इस्तेमाल UV रे को सोखने का काम करता है।
इसके दांतों का अरेजमेंट भी बेहद खास होता है। इसके ऊपरी जबड़े में दो ROW होती हैं, नीचे के जबड़े में एक पंक्ति के साथ ओवरलैप होती हैं।
तुआतारा का लाइफ 100 सालों तक हो सकता है। एक आम सरीसृप की उम्र गगभग 60 से 100 सालों तक होती है।
मादा तुआतारा हर 2 से 5 साल में अंडे देती हैं, एक बार में 19 अंडे तक दे सकती है। बच्चे 15 साल में यौवन में पहुंचते हैं।
तुआतारा अब केवल न्यूज़ीलैंड के कुछ द्वीपों पर ही मौजूद है। ये इंसान के करीब की बस्तियों विलुप्त हो गए हैं । ये केवल वही बचे हैं, जहां चूहे और दूसरे शिकारी जीव नहीं हैं।
ये सरीसृप कीट, बीटल, और दूसरे छोटे सरीसृपों का शिकार करते हैं। समुद्री पक्षियों के अंडे भी चाव से खाते हैं।
तुआतारा सरीसृप ठंडे जगहों पर ही मिलते हैं। ये ज्यादा से ज्यादा 28 °C (82 °F) का तापमान बरदास्त कर सकते हैं।
तुआतारा एक विलुप्त होता जीव है, इसके संरक्षण के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं। हालांकि ये अब यदा-कदा ही नजर आता है।
तुआतारा को न्यूज़ीलैंड की सांस्कृतिक धरोहर भी माना जाता है। ये मानव का जीवन प्रारंभ होने के करोड़ों सालों से पृथ्वी पर मौजूद है। इसने पृथ्वी के कई चरणों को देखा है।
तुआतारा जैसा जीव भारत में पाया जाता है, इसे आम तौर पर गिरगिट कहा जाता है। हालांकि गिरगिट और तुआतारा का केवल बॉडी स्ट्रक्चर ही एक जैसा होता है, इनमें में जमीन -आसमान का अंतर है।