इंडियन एयरफोर्स के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने जर्मनी के एक एयरबेस पर यूरोफाइटर विमान में उड़ान भरी। इस लड़ाकू विमान की गिनती दुनिया के सबसे अच्छे फाइटर जेट्स में होती है।
एक समय भारत ने भी यूरोफाइटर टाइफून विमान खरीदने को लेकर विचार किया था, लेकिन टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर और अन्य मुद्दों पर सहमति नहीं बनी थी। बाद में राफेल को चुना गया।
यूरोफाइटर टाइफून मल्टीरोल फाइटजेट है। दो इंजन वाले इस विमान में दो सीट हैं। इसका रेंज 2900 किलोमीटर है।
यूरोफाइटर विमान को कार्बन-फाइबर कंपोजिट, ग्लास-प्रबलित प्लास्टिक, एल्यूमीनियम लिथियम, टाइटेनियम और एल्यूमीनियम कास्टिंग से बनाया गया है। इसे स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है।
यूरोफाइटर के पास सुपरक्रूज क्षमता है। यह आफ्टरबर्नर के इस्तेमाल के बिना मैक 1 से अधिक की रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
यूरोफाइटर विमान का विकास यूरोफाइटर जीएमबीएच ने किया है। इसे यूके के रॉयल एयर फोर्स, जर्मन एयरफोर्स लूफ्टवाफे, इतालवी वायु सेना और स्पेनिश वायु सेना द्वारा यूज किया जाता है।
यूरोफाइटर में हथियार ले जाने के लिए 13 हार्ड पॉइंट हैं। इसमें मौसर BK27mm गन लगा है। विमान का आर्मामेंट कंट्रोल सिस्टम (ACS) हथियारों का चुनाव और फायरिंग करता है।
हवा में होने वाली लड़ाई के लिए यूरोफाइटर छह BVRAAM/AMRAAM मिसाइलें और दो सॉर्ट रेंज ASRAAM मिसाइलें ले जाता है।
यूरोफाइटर में दो यूरोजेट EJ200 इंजन लगे हैं। प्रत्येक इंजन 90kN का थ्रस्ट पैदा कर सकता है। EJ200 इंजन को म्यूनिख में यूरोजेट द्वारा विकसित किया गया है।