DW रिपोर्ट के मुताबिक Tehran Research Centre में एक रिसर्च रिएक्टर है। जहां कैंसर इलाज में यूज आने वाले रेडियोआइसोटोप प्रोडक्शन की सुविधा है। इसका इस्तेमाल युद्ध के लिए हो सकता है।
यह ईरान का मुख्य यूरेनियम प्रमोशन सेंटर है। यहां दो प्लांट लगे हैं। 2002 में एक निर्वासित ईरानी ग्रुप ने इसका खुलासा कर दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, यहां सेंट्रीफ्यूज रखे जाते हैं।
यहां पहाड़ को तोड़कर उसके बीचोबीच ईरान ने परमाणु ठिकाना बनाया है, ताकि इजराइल नुकसान न पहुंचा सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहां 1000 से ज्यादा सेंट्रीफ्यूज अभी काम करते हैं।
यह ईरान का दूसरा बड़ा शहर है। इसके बाहरी इलाके में एक बड़ा परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र है, जिसमें FPFP और UCF प्लांट हैं,जहां यूरेनियम को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदला जा सकता है
पहले अराक और अब खोंदाब में ईरान का वॉयर रिसर्च रिएक्टर है। यहां आसानी से प्लूटोनियम का उत्पादन हो सकता है। इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में हो सकता है। 2015 में इसे रोका गया था।
यहां ईरान का एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। यह रूसी ईंधन से ऑपरेट होता है। हालांकि इसका इस्तेमाल बिजली बनाने में होता है। किसी तरह की सैन्य गतिविधि में इसका इस्तेमाल नहीं होता है
इस सेंटर में कृषि और चिकित्सा क्षेत्र में परमाणु प्रौद्योगिकी रिसर्च का काम होता है।लेकिन यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज उत्पादन और विकास के लिए साइट के तौर पर काम कर सकता है
यहां सैन्य अड्डा है, जहां पारंपरिक हथियारों और मिसाइलों की टेस्टिंग जाती है। IAEA शक जता चुका है कि ईरान ने यहां परमाणु हथियारों में इस्तेमाल विस्फोटक ट्रिगर्स की टेस्टिंग की।