ईरान की तुलना में इजराइल के पास कम ग्राउंड फोर्स है।हालांकि,उनकी ट्रेनिंग काफी हाईटेक होती है। इजराइल के पास सिर्फ 1,370 टैंक हैं। बड़े स्तर पर ग्राउंड एंग्जेमेंट में यह काफी कम है
इजराइली सेना में 1.69 लाख ही नियमित सैनिक हैं, जबकि रिजर्व सैनिकों 4 लाख हैं। ये सेना में नहीं, इन्हें सैन्य ट्रेनिंग मिली है। लंबे समय तक युद्ध में उन्हें तैयार करने में समय लगेगा
इजराइल को हमेशा से ही हिजबुल्लाह-हमास की गुरिल्ला युद्ध की चुनौतियों से जूझना पड़ा है। हालांकि, इस बार उसने इनसे पार पा लिया है लेकिन इस तरह की युद्ध रणनीति उसकी कमजोरी भी है।
इजराइल में राजनीतिक तौर पर काफी मतभेद है। कैबिनेट में हमास से जारी युद्ध और फिर लेबनान में सैन्य कार्रवाई का विरोध कई बार हुआ है, कुछ मंत्रियों ने इस्तीफा दिया, कुछ को हटाया गया।
इजराइल की भौगोलिक सीमाएं एक चुनौती हैं। मिडिल-ईस्ट में मुस्लिम देशों से घिरा है। ईरान और उसके प्रॉक्सी से मिसाइल अटैक से असुरक्षित है। कई मोर्चे एक साथ खुलने पर टेंशन बढ़ सकती है।
कुछ कमजोरियों के बावजूद इजराइल बेहद पावरफुल है। उसे हरा पाना आसान नहीं। बेहतरी सैन्य तकनीक, ट्रेंड सैनिक, खुफिया क्षमताएं, परमाणु हथियार, अमेरिकी सैन्य सहायता उसकी ताकत हैं।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में मिडिल-ईस्ट में तनाव बढ़ सकता है। ईरान-इजरायल की टकराव गंभीर रूप ले सकता है। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।