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मानसून से जंगलों की कटाई तक, इन 9 वजहों से नेपाल पर टूटा बाढ़ का कहर

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मानसून की बारिश

नेपाल में पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश हुई है। इसके चलते नदियां उफना गईं हैं। बहुत अधिक बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं हैं।

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पहाड़ी भूभाग

नेपाल का अधिकतर हिस्सा पहाड़ी है। इसके चलते पानी तेजी से बहता है। इससे घाटियों में भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

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जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम के पैटर्न में बदलाव हो रहे हैं। कम समय में बहुत तेज बारिश की घटनाएं बढ़ गईं हैं। इससे बाढ़ अधिक आ रहे हैं।

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वनों की कटाई

नेपाल में जंगलों की कटाई तेजी से हुई है। पेड़ की जड़ें मिट्टी को बहने से रोकती हैं। इनके नहीं होने से जमीन के बारिश के पानी को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है।

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ग्लेशियर का पिघलना

जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इससे पानी की बड़ी झील बन रही है। अधिक पानी आने से इन झीलों के किनारे टूटते हैं और बाढ़ आती है।

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खराब बुनियादी ढांचा

नेपाल में बुनियादी ढांचा ठीक नहीं है। बारिश के पानी को निकालने की अच्छी व्यवस्था नहीं है। इससे बाढ़ की स्थिति और भी बदतर हो जाती है।

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नदी की राह में बाधा

नेपाल में भूस्खलन की घटनाएं अधिक होती है। मलबा गिरने से नदी की राह में बाधा आती है। अस्थायी बांध बन जाते हैं। इनके टूटने से निचले इलाकों में बाढ़ आता है।

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निम्न दबाव प्रणालिया

बंगाल की खाड़ी से आने वाली मौसमी प्रणालियां अत्यधिक वर्षा ला सकती हैं। खासकर तब जब वे असामान्य स्थिति में हों।

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बाढ़ के मैदानों पर निर्माण

बाढ़ के मैदानों पर निर्माण कार्य हुए हैं। जल धारण क्षेत्र सीमित हुए हैं। इससे भारी वर्षा के दौरान बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

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