कोई भी दो सूर्यग्रहण बिल्कुल एक जैसे नहीं होते हैं। उनकी अवधि, आकार और छाया का प्रभाव हर बार अलग ही होता है।
सूर्यग्रहण तभी होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर उसे पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है।
जब सूर्यग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को लगभग पूरी तरह ढक लेता है, तब किनारों पर एक चमकदार रिंग बनती है, जिसे 'डायमंड रिंग इफेक्ट' कहते हैं।
सौरमंडल में पृथ्वी एकमात्र ऐसी ग्रह है, जहां परफेक्ट सूर्यग्रहण होता है, क्योंकि चंद्रमा-सूर्य का आकार आसमान में लगभग समान दिखता है।
सूर्यग्रहण के दौरान अचानक अंधेरा हो जाता है, जिससे पक्षी, जानवर रात समझकर सोने की तैयारी करने लगते हैं। अंधेरा होने से कुछ पेड़ भी कंफ्यूज हो जाते हैं और अपने पत्ते बंद कर लेते हैं
सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या (New Moon) के दिन ही पड़ता है। यह काफी रोचक फैक्ट है, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं।
प्राचीन काल की कई सभ्यताओं में सूर्य ग्रहण को बुरा शगुन समझा जाता था। कुछ मान्यताओं में कहा जाता था कि कोई दानव या राक्षस सूर्य को निगल रहा है। आज भी कुछ जगहों पर ऐसी मान्यताएं हैं
पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जिससे ठंडक का एहसास होता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्यग्रहण के दौरान पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण में हल्का बदलाव महसूस किया जा सकता है।
सूर्यग्रहण के दौरान सौर हवा का प्रभाव घट जाता है, जिससे पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर में थोड़ा बदलाव आ जाता है।