मोनाको (Monaco) दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला देश है। 12 फरवरी, 2025 तक इसकी जनसंख्या 38,451 थी। इसका घनत्व 25,927 प्रति वर्ग किलोमीटर है।
मोनाको का क्षेत्रफल 2.02 स्क्वायर किमी है। यूरोप का यह देश इतना छोटा है कि इसे एक घंटे में ही पैदल पार कर सकते हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से ये दिल्ली के JNU (4.12 km2) से भी छोटा है।
मोनाको को करोड़पतियों का देश कहा जाता है। यहां हर चौथा आदमी करोड़पति है। लेकिन उनके पास रहने के लिए घर नहीं है। जिसकी वजह से कई रईस लोग कार या डॉरमेट्री में रहते हैं।
वेटिकन सिटी के बाद क्षेत्रफल के लिहाज से मोनाको दुनिया का दूसरा छोटा देश माना जाता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां करीब 3,000 लोग बिना घरों के रह रहे हैं।
जमीन कमी पूरी करने के लिए मोनाको सरकार समुद्र में ऊंची इमारतें बनाने जा रही है। पहाड़ों में घर, स्काईस्क्रैपर और जमीन अंदर घर बनाने जैसे उपाय पहले ही किए जा चुके हैं।
मोनाको सरकार समुद्र और इसके आसपास ऑफशोर अर्बन एक्सटेंशन प्रोजेक्ट नाम से घर बनवा रही है। इसमें 120 से ज्यादा मकान, पार्क और दुकानें बनाने का प्लान है।
CIA वर्ल्ड फैक्टबुक में मोनाको को लेकर लिखा गया है कि यहां गरीबी नहीं है। कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है। यहां की प्रति व्यक्ति आय 165420 डॉलर यानी करीब 1,43,66,131 रुपए है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, मोनाको में सिर्फ 9,326 लोग ही मूल निवासी हैं। बाकी लोग अमेरिका, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, स्विटरजरलैंड और जर्मनी से आकर लोग बसे हैं।
मोनाको की अर्थव्यवस्था टूरिज्म-बैंकिंग पर निर्भर है। यूरोपीय देशों से टूरिस्ट्स सालभर आते रहते हैं। यहां के होटल दी पेरिस में डीलक्स रूम का एक रात का किराया 22 लाख रु से ज्यादा है।