सार
कहते हैं कि अगर इंसान में हिम्मत हो तो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों के बावजूद संघर्ष कर वह मनचाही सफलता हासिल कर सकता है। यह कहानी बिहार के एक नवजवान की है, ट्रेन एक्सीडेंट में जिसके दोनों पैर काटने पड़े। बावजूद इसके उसे टीवी शो 'इंडियाज गॉट टैलेंट' में परफॉर्म करने का मौका मिला।
हटके डेस्क। कहते हैं कि अगर इंसान में हिम्मत हो तो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों के बावजूद संघर्ष कर वह मनचाही सफलता हासिल कर सकता है। यह कहानी बिहार के एक नवजवान की है, ट्रेन एक्सीडेंट में जिसके दोनों पैर काटने पड़े। बावजूद इसके उसे टीवी शो 'इंडियाज गॉट टैलेंट' में परफॉर्म करने का मौका मिला। बिहार के बेगूसराय के रहने वाले देव मिश्रा हैदराबाद में किसी कॉन्ट्रैक्टर के लिए वेल्डर का काम करते थे। जब वे 6 साल के थे, तभी लंबी बीमारी के बाद उनके पिता की मौत हो गई थी। घर की सारी बचत पिता के इलाज में खर्च हो गई थी। देव अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। भूमिहीन होने के कारण आमदनी का कोई जरिया नहीं था। उनकी मां वंदना देवी खेतों में मजदूरी और दूसरे के घरों में काम कर किसी तरह परिवार का खर्चा चलाती थीं। देव मिश्रा को बहुत छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा।
ट्रेन दुर्घटना के बाद काटने पड़े दोनों पैर
साल 2015 में वह वेल्डर का काम करने के लिए हैदराबाद जा रहे थे। बरौनी स्टेशन में ट्रेन में चढ़ने के दौरान भीड़ के धक्के से वे पटरियों पर गिर पड़े। दूसरी तरफ से भी ट्रेन आ रही थी। इस दुर्घटना के बाद महीनों उन्हें अस्पताल में रहना पड़ा। उनके दोनों पैर घुटनों के ऊपर से काटने पड़े। इसके बाद वे कोई काम करने लायक नहीं रह गए थे। इधर, घर की हाल बद से बदतर होती चली जा रही थी।
जयपुर फुट लगवाना चाहा
देव मिश्रा की उम्र उस समय करीब 18-19 साल की थी। उन्होंने सोचा कि अगर वे जयपुर से प्रोस्थेटिक लेग लगवा लें तो कोई काम-धंधा कर सकते हैं। इसके लिए वे जयपुर गए। लेकिन उनकी जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि उनके पैर घुटने के ऊपर से काटे गए हैं, इसलिए जयपुर फुट उन्हें नहीं लगाया जा सकता। अब उन्हें लगा कि पूरी जिंदगी दिव्यांग के रूप में ही बितानी पड़ेगी। लेकिन उनके दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने मुंबई जाने के बारे में सोचा। इस बीच, बिना पैरों के ही उन्होंने कई तरह की एक्सरसाइज करनी सीख ली थी। वे सिर्फ हाथों के सहारे कई तरह के मूवमेंट कर सकते थे और बांस के सहारे करतब भी दिखा सकते थे।
पहुंचे मुंबई
एक दिन उन्होंने मुंबई का टिकट कटाया और वहां पहुंच गए। उन्होंने सुन रखा था कि संघर्ष करने वालों को सपनों की इस नगरी में बहुत कुछ हासिल हो सकता है। मुंबई में कुर्ला स्टेशन के बाहर वे फुटपाथ पर रहने लगे। वे वहां किसी को नहीं जानते थे। कुछ लोग उन्हें दिव्यांग समझ कर कभी खाने को कुछ दे देते थे। कभी उन्हें भूखे भी सोना पड़ता था। उन्होंने कई लोगों से काम मांगा, पर दोनों पैर नहीं होने के चलते कौन उन्हें काम देता। वे कार्टर रोड के फुटपाथ पर सो जाया करते थे। उन्होंने बिना पैरों के करतब दिखा कर भी पैसे कमाने की कोशिश की, लेकिन इसमें भी उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली।
सेलिब्रिटीज से मिले
इसके बाद देव मिश्रा ने सेलिब्रिटीज से मिलने का फैसला किया। उन्हें अपने टैलेंट पर भरोसा था। वे बांद्रा और जुहू गए और सेलिब्रिटीज के बंगलों के आगे काम के लिए खड़े रहते। एक दिन एक्टर जैकी श्रॉफ ने उनकी बात सुनी और 5000 रुपए दिए। इसी बीच, संयोग से उनकी मुलाकात जूलरी डिजाइनर फराह खान से हुई। फराह बिना पैरों के करतब दिखाने के उनके टैलेंट से बहुत प्रभावित हुईं और उनके लिए एक ट्राइसाइकिल खरीद कर दिया। उन्होंने तत्काल उन्हें 10,000 रुपए दिए और रहने व खाने-पीने का सारा इंतजाम किया। फराह ने उनसे कहा कि जब तक वह जिंदा है, उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं।
बॉडी फिटनेस पर दिया जोर
इसके बाद देव मिश्रा ने बॉडी फिटनेस पर जोर देना शुरू किया। फराह खान ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें एक डांस इंस्ट्रक्टर से मिलवाया। इसके बाद डांसिग की फील्ड में देव ने करियर बनाने के बारे में सोचा। उनके डांस इंस्ट्रक्टर विशाल पासवान का कहना था कि देव बहुत तेजी से डांसिग स्किल सीखने लगे और जल्दी ही बहुत बढ़िया परफॉर्म करने लगे।
कई प्राइवेट शो में किया परफॉर्म
इसके बाद देव मिश्रा ने कई प्राइवेट शो में डांस परफॉर्मेस किया। लोग उनकी डांस स्किल को देख कर हैरान रह जाते थे। कई शो में भाग लेने के बाद उन्होंने 'इंडियाज गॉट टैलेंट' में भाग लेने का निर्णय लिया। इसे लिए उन्होंने ऑडिशन दिया। इसके लिए सिलेक्शन करने वाले लोग भी उनकी डांस स्किल देख कर बहुत प्रभावित थे। जब देव से पूछा गया कि 'इंडियाज गॉट टैलेंट' के बाद उनके सफर की मंजिल क्या होगी तो उन्होंने कहा कि मैं डांस की फील्ड में ही करियर बनाना चाहता हूं। उनका कहना था कि मैं अपनी मां को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाना चाहता हूं, ताकि वे आरामदेह जिंदगी बिता सकें। उन्होंने बड़ी तकलीफ झेली है। देव कॉरेपॉन्डेंस से पढ़ाई भी कर रहे हैं। वे फराह खान के देवी के समान मानते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने ही उनकी जिंदगी बदली।