सार
अमेरिकी ट्रॉफी हंटर्स कथित तौर पर हर साल 800 से अधिक बंदरों को मार रहे हैं।
वॉशिंगटन। एनिमल राइट्स ग्रुप ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के अनुसार, सिर्फ खेल के लिए अमेरिकी हर साल 800 से भी ज्यादा बंदरों को मार देते हैं। इस संस्था का कहना है कि साल 2007 से लेकर अब तक 1100 प्राइमेट हंटिंग ट्रॉफी का ट्रेड दुनिया के कई देशों के बीच हुआ है, जिसमें सबसे बड़ी भागीदारी करीब 80 पर्सेंट अमेरिका की है। ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के अनुसार, इस दौरान अमेरिका में सालाना 890 प्राइमेट ट्रॉफी का इम्पोर्ट हुआ, वहीं 490 ट्रॉफी के साथ स्पेन दूसरा बड़ा इम्पोर्टर रहा।
क्या है ट्रॉफी हंटिंग
ट्रॉफी हंटिंग के दौरान पूरी दुनिया में हर साल हजारों की संख्या में शिकारी जानवरों को मार देते हैं, जिनका मुख्य मकसद जानवरों के शरीर के अलग-अलग हिस्सों जैसे उनके सिर, चमड़े और दूसरे कीमती अंग हासिल करना होता है। जानवरों के शिकार के लिए ये बहुत ही क्रूर तरीके अपनाते हैं। इसके बाद दूसरे देशों को ये मृतक जानवरों के अंग भेज कर अच्छी प्राइज मनी और ट्रॉफी हासिल करते हैं।
सबसे ज्यादा मारे जा रहे बैबून
ये करीब 4 फीट लंबे बहुत छोटे बंदर होते हैं, जिनकी हत्या सबसे ज्यादा की जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2007 से लेकर अब तक करीब 7000 बैबून ट्रॉफी हंटर्स द्वारा मारे जा चुके हैं। इसके बाद वर्वेट मंकी का नंबर आता है। करीब 1,400 वर्वेट मंकी भी मारे जा चुके हैं। तीसरा नंबर येलो बैबून का है। आंकड़ों के मुताबिक 932 येलो बैबून भी मारे जा चुके हैं।
सबसे ज्यादा कहां मारे जा रहे प्राइमेट्स
ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के अनुसार, सबसे ज्यादा बंदर साउथ अफ्रीका, नामीबिया, जिम्बॉब्वे, जाम्बिया और मोजाम्बिक जैसे अफ्रीकी देशों में मारे जा रहे हैं। एनिमल ट्रॉफी हंटर्स वहां काफी सक्रिय हैं। दुनिया भर से ऐसे शिकारी इन देशों में जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ट्रॉफी हंटिंग है लीगल
अंतररराष्ट्रीय कानून के तहत ट्रॉफी हंटिंग लीगल है, पर बड़े और हिंसक जानवरों के शिकार की फीस मामूली जानवरों की तुलना में ज्यादा है। इसलिए शिकारी शेर और गैंडे जैसे जानवरों की जगह बंदरों का शिकार करना ज्यादा आसान समझते हैं। इसके लिए फीस भी 20 डॉलर से अधिक नहीं लगती।
एनिमल ट्रॉफी हंटिंग को बैन करने की मांग
ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल का कहना है कि एनिमल ट्रॉफी हंटिंग में जिन जानवरों का शिकार किया जाता है, उनमें कई संरक्षित प्राणी घोषित किए जा चुके हैं। उनकी प्रजाति नष्ट हो सकती है। सोसाइटी का कहना है कि जानवरों के प्रति बहुत ज्यादा क्रूरता है। इसलिए इस पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाना चाहिए।