सार
मलेशिया में रहने वाले 31 साल के अजफर मौहम्मद युसूफ ने बीमारी को भी अपने शौक के आगे आने नहीं दिया। उन्हें बचपन से ही कुरान पढ़ने और लोगों को इसकी शिक्षा देने का शौक था। आज वो बिस्तर पर लेटे हुए ही 42 बच्चों की अपनी क्लास चलाते हैं।
मलेशिया: कहते हैं हिम्मत और लगन के आगे सारी परेशानी कम हो जाती है। अगर आपके इरादे मजबूत हैं तो कोई भी आपको अपना काम करने से नहीं रोक सकता है। बहाने बनाने वाले बहाने बनाते रहते हैं लेकिन जिन्हें सच में सपने साकार करने होते हैं, वो परेशानियों के बावजूद सफल हो जाते हैं। मलेशिया में रहने वाले अजफर चल-फिर नहीं पाते हैं। वो चौबीस घंटे बिस्तर पर लेटे रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद वो अपनी 42 बच्चों की क्लास चलाते हैं।
देते हैं कुरान की शिक्षा
अजफर जन्म से बीमारी के कारण चलने में असमर्थ हैं। उन्हें बचपन में कुरान का ज्ञान नहीं था। उनके पेरेंट्स ने कुछ धार्मिक गुरुओं को बुलाया, जो हर दिन उन्हें कुरान पढ़ाते थे। इसके बाद अजफर के अंदर भी धार्मिक गुरु बनने की लालसा जाएगी। उन्होंने कुरान अच्छे से पढ़ी और उसके सारे आयात याद किये। साल 2005 में उन्होंने अपनी क्लास शुरू की जिसमें वो बच्चों को कुरान पढ़ाने लगे।
10 बच्चों से की थी शुरुआत
अजफर ने 2005 में 10 बच्चों के साथ अपनी क्लास शुरू की थी। आज उनकी क्लास में 42 बच्चे पढ़ते हैं। अजफर उन्हें लेटे हुए ही कुरान की शिक्षा देते हैं। बच्चों को मोटिवेट करने के लिए वो उन्हें कई तरह के गिफ्ट्स भी देते हैं। जैसे कि खिलौने, आइस-क्रीम या किताबें।
हिल भी नहीं पाते हैं टीचर
अजफल बीमारी के कारण हिलडुल नहीं पाते हैं। उनकी क्लास में 5 साल से लेकर 17 साल तक के बच्चे शामिल हैं। बच्चों के पेरेंट्स अजफल के पास उन्हें छोड़कर निश्चिंत हो जाते हैं। पेरेंट्स के मुताबिक, अजफल काफी नेक काम कर रहे हैं। इस नेक काम के कारण अजफल काफी मशहूर हो गए हैं।
व्हाट्सऐप पर भी चलती है क्लास
अजफल चल नहीं पाते हैं। इसलिए उनकी एक क्लास व्हाट्सऐप पर भी चलती है। लोग उन्हें मैसेज कर उनसे कुरान की शिक्षा लेते हैं। सोशल मीडिया पर उनके क्लास की फोटोज वायरल हो रही है।