सार
रविवार को तालिबान ने कहा था कि आईएसआई के चीफ दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए बातचीत के मकसद से आए थे।
काबुल। तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बनाने की ओर है। तालिबान के प्रवक्ता ने सोमवार को काबुल में चीन-पाकिस्तान के साथ कई परियोजनाओं में साथ रहने का ऐलान कर दिया है। तालिबान के ऐलान के बाद भारत की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए चल रही कई परियोजनाएं भी खटाई में पड़ती जा रही है साथ ही विश्व के मानचित्र पर कई प्रकार के समीकरण बनते-बिगड़ते भी दिख रहे हैं। इसी बीच हैरान करने वाली एक और सूचना से कई देश चौकन्ने हो गए हैं।
दरअसल, तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बराबाद ने पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद से मुलाकात की है। सरकार बनाने के पहले आईएसआई प्रमुख से तालिबान नेता की मुलाकात कई मायने में महत्वपूर्ण है। आईएसआई तालिबान नेताओं को सरकार बनाने में सलाह मशविरा दे रहा है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान कहीं आईएसआई के इशारों पर चलने वाली सरकार का गवाह न बन जाए। अगर ऐसा होता है तो वह पड़ोसी मुल्कों के साथ साथ पाकिस्तान के लिए भी बेहतर नहीं साबित होनो जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सोमवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि बीते सप्ताह आईएसआई चीफ काबुल पहुंचे थे। रविवार को तालिबान ने कहा था कि आईएसआई के चीफ दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए बातचीत के मकसद से आए थे।
तालिबान ने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों को लेकर बात हुई
तालिबान के कल्चरल कमिशन के डिप्टी हेड अहमदुल्लाह वासिक ने कहा था कि लेफ्टिनेंट जनरल हमीद से दोनों देशों के रिश्तों को लेकर बात हुई है। इसके अलावा तोरखाम और स्पिन बोल्डाक पास पर लोगों के फंसने को लेकर भी बात हुई थी। पाकिस्तानी पक्ष इन मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत करना चाहता था, जिसे हमने स्वीकार कर लिया था।
गुरुवार को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगने वाले चमन बार्डर को बंद कर दिया था। यह बार्डर दूसरा सबसे बड़ा बार्डर है।
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