सार

पाकिस्तान में पोलियो ने वापसी की है और उन इलाकों में भी फैल रहा है जहाँ पहले यह बीमारी नहीं थी। वैक्सीन के प्रति अविश्वास और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले इस बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ाई को और मुश्किल बना रहे हैं।

पाकिस्तान में पोलियो का हाल। पाकिस्तान में आज से 2 साल पहले ऐसा लगता था कि ये पोलियो को हराने के कगार पर है। पाकिस्तान दुनिया के उन दो देशों में एक था जहां वायरस सक्रिय था। 2021 से वहां कोई नए मामले रिकॉर्ड नहीं किए गए थे। लेकिन उसके बाद पोलियो ने जबरदस्त तरीके से वापसी की है। वह उन इलाकों के बाहर फैल रहा है, जो पहले बीमारी से अछूते थे। पिछले सप्ताह स्वास्थ्य अधिकारियों ने राजधानी इस्लामाबाद में 16 साल में पहली बार पोलियो का पहला केस मिलने की सूचना दी है। इस महीने पेशावर और कराची सहित कई बड़े शहरों में सीवेज के नमूनों में वायरस पाया गया है।

पोलियो वायरस अब नई जगह बलूचिस्तान में फैल गया है। पाकिस्तान में पहले पोलियो उत्तर पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनवा में फैला था। पिछले सप्ताह देशभर में पोलियो वैक्सीनेशन का अभियान शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, उम्मीद है आने वाले वर्षों में पोलियो का खात्मा हो जाएगा। हालांकि, इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह पोलियो अभियान में आने वाली कई चुनौतियां को माना जा रहा है। इस दौरान फैलते अफवाहों के कारण लोग वैक्सीन पर यकीन नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर इस्लामिक देश के धार्मिक विद्वानों और उग्रपंथी गुटों ने झूठ फैलाया है कि वैक्सीनेशन की मुहिम मुसलमानों की नसबंदी करना है। ये पश्चिमी देशों की एक साजिश है।

पाकिस्तान में पोलियो अभियान को लेकर दुष्प्रचार

पाकिस्तान में अन्य कट्टरपंथी लोगों को कहना है कि वैक्सीन में सुअर के अंश मिले हुए हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बता दें कि इस्लाम में सुअर का मांस खाना वर्जित माना जाता है। ऐसे दावों की वजह से आम लोग वैक्सीनेशन नहीं कराते हैं। एक अन्य समस्या वैक्सीनेटर पर उग्रवादी गुटों के हमलों की है। इस साल वैक्सीनेशन अभियानों के दौरान हमलों में 15 व्यक्ति मारे गए और 37 घायल हुए हैं। इनमें अधिकतर पुलिस अधिकारी हैं।

पाकिस्तान के स्वास्थ्य कर्मियों पर बनाया जाता है दवाब

पाकिस्तान में कई लोग और स्थानीय नेता बच्चों की उंगलियों पर वैक्सीन लिए बिना ही अमिट स्याही लगाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों पर दबाव डालते हैं। अधिकारियों का कहना है, इस कारण वायरस को सिर उठाने में मदद मिली है। कई वैक्सीनेटर हमले के डर से वैक्सीनेशन से इनकार करने वाले लोगों की जानकारी नहीं देते हैं। देश के आदिवासी इलाकों में स्थानीय नेता वैक्सीनेशन के बदले सरकारी सुविधाएं मुहैया कराने की सौदेबाजी करते हैं। कुछ दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा में कुछ समुदायों ने अपनी मांगें पूरी हुए बिना बच्चों को वैक्सीन नहीं देने का ऐलान किया है। वैक्सीन लेने वाले परिवारों के बहिष्कार की धमकी दी गई है।

दुनिया में कब आई थी पोलियो की वैक्सीन?

विश्व में पहले हर साल हजारों बच्चे इस घातक बीमारी से बेबस हो जाते थे। 1955 में वैक्सीन आने के बाद दुनिया में पोलियो के मामलों में 99.9% की कमी आई थी। लेकिन, पाकिस्तान में मुंह से वैक्सीन पिलाने का अभियान कमजोर पड़ने के बाद वायरस ने जबरदस्त तरीके से वापसी की है।अकेले इस महीने में कम से कम आठ देशों में पोलियो के मामले मिले हैं। इसी तरह अफगानिस्तान में भी इस साल अब तक पोलियो के 18 केस सामने आए हैं। ये पाकिस्तान की सीमा से लगे कंधार और हेलमंद प्रांत में हैं।

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