अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की आग फूंकने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक बचपन से ही सच्चाई पर अडिग रहे। कठोर अनुशासन का पालन करते थे। उनके जीवन में कई बार ऐसा हुआ, जब उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, सजा पाई लेकिन कभी सर नहीं झुकाया।