सार

हिंदू पंचांग का नौवां महीना मार्गशीर्ष कहलाता है, इसे अगहन भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ये महीना भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। इस महीन में शंख पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि अगहन (aghan month 2021) में यदि साधारण शंख को भी श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा की जाए तो हर इच्छा पूरी हो सकती है।
 

उज्जैन. ऐसा माना जाता है समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था। विष्णु पुराण में बताया गया है कि देवी महालक्ष्मी समुद्र की पुत्री है और शंख को लक्ष्मी का भाई माना गया है। इन्हीं कारणों से शंख की पूजा भक्तों को सभी सुख देने वाली गई है। सभी वैदिक कामों में शंख का विशेष स्थान है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है। अगहन मास में शंख की पूजा इस मंत्र से करनी चाहिए-

पंचजन्य पूजा मंत्र
त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

पुराणों के अनुसार, विधि-विधान से अगहन मास में शंख की पूजा की जानी चाहिए। जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही शंख का भी पूजा करें। इस मास में साधारण शंख की पूजा भी पंचजन्य शंख की पूजा के समान फल देती है।

शंख के उपाय
1.
अगहन मास में दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं।
2. भगवान विष्णु के मंदिर में शंख का दान करें। इससे भी धन संबंधित समस्याओं में फायदा होगा।
3. जिस स्थान पर पीने का पानी रखते हैं, वहां दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर रखें। इससे पितृदोष कम होगा।
4. अगहन मास में मोती शंख में साबूत चावल भर कर रखें। बाद में इसकी पोटली बनाएं और अपनी तिजोरी में रख लें।
5. अपने पूजन स्थान पर दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करें और रोज विधि-विधान से इसकी पूजा करें।
6. दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल व केसर मिलाकर इससे माता लक्ष्मी का अभिषेक करें। धन लाभ होगा।
7. किसी पवित्र नदी में शंख प्रवाहित करें और माता लक्ष्मी से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
8. एक सफेद कपड़े में सफेद शंख, चावल व बताशे लपेटकर नदी में बहाएं। इससे शुक्र के दोष दूर होंगे।

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