सार
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है। इस बार ये तिथि 2 अप्रैल, शनिवार को है। देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू नववर्ष अलग-अलग परंपराओं और मान्यताओं के साथ मनाया जाता है।
उज्जैन. महाराष्ट्रीय परिवारों में हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा (gudi padwa 2022) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं और पुरुष पारंपरिक कपड़े पहनकर घर के आगे एक गुड़ी यानी झंडा रखते हैं। इसी में एक बर्तन (लोटे) पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेटा जाता है। गुड़ी को विजय का प्रतीक मान का उसकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि हिंदू नववर्ष के पहले दिन गुड़ी की पूजा करने से घर में साल भर सुख-समृद्धि बनी रहती है और किसी तरह की कोई समस्या नहीं आती। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी और भी रोचक बातें…
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गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त 2022 (Gudi Padwa 2022 Shubh Muhurat)
गुड़ी पड़वा की तिथि – 2 अप्रैल 2022, शनिवार
गुड़ी पड़वा प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 1 अप्रैल 2022, शुक्रवार सुबह 11:53 से
गुड़ी पड़वा प्रतिपदा तिथि समाप्त – 2 अप्रैल 2022, शनिवार रात 11:58 पर
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इस दिन बनाया जाता है ये खास व्यंजन
गुड़ी पड़वा पर महाराष्ट्रीय परिवारों में कुछ खास पकवान बनाए जाते हैं। इनमें पूरन पोली बहुत ही प्रसिद्ध है। ये चने की दाल से बना मीठा पराठा होता है, जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है। सेहत के लिए भी इसे बहुत फायदेमंद माना जाता है। वहीं कुछ स्थानों पर इस दिन श्रीखंड-पूड़ी खाने की भी परंपरा है।
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ये है इस पर्व से जुड़ी मान्यता
1. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी तिथि से सृष्टि के निर्माण का कार्य शुरू किया था। इसलिए हिंदू नववर्ष का आरंभ इसी दिन से माना जाता है।
2. वीर मराठा छत्रपति शिवाजी जी ने युद्ध जीतने के बाद पहली बार गुड़ी पड़वा उत्सव मनाया था। तभी से हर साल ये उत्सव मनाया जा रहा है। गुड़ी को विजय पताका का प्रतीक माना जाता है।
3. गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियां खाने की परंपरा भी है। आयुर्वेद के अनुसार नीम की पत्तियां खाने से रक्त शुद्ध होती है और बीमारियां दूर होती हैं।
4. गुड़ी पड़वा को बहुत ही शुभ तिथि माना जाता है। इसलिए इस दिन नए काम की शुरूआत करना खास माना जाता है। ऐसा करने से दिनोंदिन तरक्की होती रहती है।
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