सार

Guru Nanak Dev Death Anniversary 2022: गुरु नानक देव सिक्खों के प्रथम गुरु थे। उन्होंने ही लंगर की परंपरा शुरू की। उनके संदेश आज भी मानव समाज को जीने की सही रास्ता दिखाते हैं। इस बार 22 सितंबर, गुरुवार को उनकी पुण्यतिथि है। 
 

उज्जैन. गुरु नानकदेव की पुण्यतिथि (22 सितंबर, गुरुवार) सिक्ख समुदाय के लिए बहुत ही खास दिन है क्योंकि इसी दिन सिक्खों के प्रथम गुरु नानकदेवजी ने अपनी देय त्यागी थी। इस दिन गुरु नानकदेव की स्मृति में कई विशेष आयोजन किया जाते हैं और उनकी शिक्षाओं को याद किया जाता है। जगह-जगह लंगरों का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ भी किया जाता है। आगे जानिए गुरु नानकदेव से जुड़ी खास बातें व शिक्षाएं…

सिक्खों के प्रथम गुरु हैं नानकदेव
गुरू नानक सिक्खों के प्रथम गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह आदि नामों से सम्मान देते हैं। वे एक महान दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि आदि कई गुण अपने अंदर समेटे हुए थे। उस दौरान जो कुरीतियां समाज में व्याप्त थीं, उन पर भी उन्होंने जमकर प्रहार किए और सामाजिक समरसता के प्रयास किए।

यहां हुआ था गुरु नानकदेव का जन्म
गुरु नानकदेव का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ था। उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा थी। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। बचपन से ही नानक सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे, उनकी रूचि आध्यात्म की ओर थी। बचपन में उनके साथ कई चमत्कारिक घटनाएं घटी, जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य मानने लगे।

देश-विदेश में दी शिक्षाएं
1507 में गुरु नानक मरदाना, लहना, बाला और रामदास इन चार साथियों को लेकर तीर्थयात्रा के लिये निकल पड़े। 1521 तक इन्होंने तीन यात्रा चक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। करतारपुर (अब पाकिस्तान) में उन्होंने अपने जीवन का अंतिम समय बिताया। यहीं से लंगर की परंपरा की शुरूआत भी की। 

सिक्ख धर्म के दस सिद्धांत
गुरु नानकदेवजी ने अपने अनुयायियों को जीवन के 10 सिद्धांत दिए थे। ये सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। इन सिद्धांतों में जीवन का सार छिपा है। अगर कोई व्यक्ति इन सिद्धातों को अपने जीवन में उतार ले उसकी परेशानियां का अंत हो सकता है। ये हैं गुरु नानकदेव के 10 सिद्धांत 
1. ईश्वर एक है। सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
2. जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।
3. सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
4. ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति (पेट भरना चाहिए) करनी चाहिए।
5. बुरा काम करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
6. सदा प्रसन्न रहना चाहिए।
7. ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता मांगनी चाहिए।
8. मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
10. भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है, पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।


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