सार
भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा का नाम भी जरूर आता है। हमारे देश में राधा-कृष्ण के अनेक मंदिर भी हैं। राधा भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका थीं, लेकिन उनका विवाह उनके साथ नहीं हो पाया।
उज्जैन. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा भी श्रीकृष्ण की तरह ही अनादि और अजन्मी हैं, उनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। इस पुराण में राधा के संबंध में बहुत ही ऐसी बातें बताई गई हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। ये बातें इस प्रकार हैं-
- ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण के अवतार का समय आया तो उन्होंने राधा से कहा कि- तुम शीघ्र ही वृषभानु के घर जन्म लो। वृषभानु की पत्नी बड़ी ही साध्वी हैं, उनका नाम कलावती है। वे लक्ष्मी के अंश से प्रकट हुई हैं। वास्तव में वे पितरों की मानसी कन्या हैं। श्रीराधा वाराहकल्प में गोकुल में अवर्तीण हुई थीं। वे व्रज में वृषभानु वैश्य की कन्या हुईं।
- राधा देवी अयोनिजा थीं, यानी वे माता के गर्भ से उत्पन्न नहीं हुई थीं। उनकी माता ने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था। उन्होंने योगमाया की प्रेरणा से वायु को ही जन्म दिया परंतु वहां स्वेच्छा से श्रीराधा प्रकट हो गईं। 12 वर्ष बीतने पर माता-पिता ने राधा का विवाह रायाण नामक वैश्य के साथ कर दिया। उस समय राधा घर में अपनी छाया को स्थापित करके स्वयं अंतर्धान हो गई।
- उस छाया के साथ ही रायाण का विवाह हुआ। कुछ समय तक श्रीकृष्ण वृंदावन में श्रीराधा के साथ आमोद-प्रमोद करते रहे। इसके बाद श्रीदामा के श्राप के कारण उनका वियोग हो गया। इस बीच में श्रीकृष्ण ने पृथ्वी का भार उतारा। सौ वर्ष पूर्ण हो जाने पर तीर्थयात्रा के प्रसंग से श्रीराधा ने श्रीकृष्ण का दर्शन प्राप्त किया। इसके बाद श्रीकृष्ण राधा के साथ गोलोकधाम पधारे।