सार
उज्जैन (Ujjain), मध्य प्रदेश में नागदेवता का एक ऐसा मंदिर है जो साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी (Nagpanchami 2021) पर दर्शनों के लिए खोला जाता है। ये मंदिर महाकाल (Mahakaal temple Ujjain) गर्भगृह के ऊपर दूसरी मंजिल पर स्थित है। कोरोना महामारी के चलते इस बार इस मंदिर में आम श्रृद्धालुओं का प्रवेश निषेध रहेगा, केवल ऑनलाइन दर्शन होंगे। इस मंदिर में स्थापित भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा परमार काल की बताई जाती है।
उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यहां अनेक दिव्य व पुरातन काल के मंदिर लोगों की श्रृद्धा का केंद्र हैं। इन सभी से कोई न कोई मान्यता और परंपरा जुड़ी हुई है। ऐसी ही एक मंदिर है भगवान नागचंद्रेश्वर का। ये मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी (Nagpanchami 2021) के दिन ही भक्तों के लिए खुलता है, लेकिन कोरोना की गाइडलाइन के चलते इस बार मंदिर में भक्तों को प्रवेश नहीं मिल पाएगा, केवल ऑनलाइन दर्शन होंगे। उज्जैन कलेक्टर एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया कि फैसला श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज एवं श्री महाकालेश्वर प्रबन्ध समिति की सहमति से लिया गया है।
क्यों खास है ये मंदिर?
- महाकाल मंदिर के गर्भगृह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। इनके ऊपर ओंकारेश्वर महादेव स्थित है। सबसे ऊपरी तल पर भगवान नागचंद्रेश्वर (Nagchandreshwar Temple, Ujjain) की मनमोहक प्रतिमा है। ऊपरी तल पर अंदर जाते ही दाईं ओर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं।
- शेषनाग के आसन पर विराजित शिव-पार्वती की सुंदर प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालुओं स्वयं को धन्य मानते हैं। 11 वीं शताब्दी के परमार कालीन इस मंदिर के शिखर के मध्य बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर में शेषनाग पर विराजित भगवान शिव और पार्वती की यह दुर्लभ प्रतिमा है।
- ऐसी मान्यता भी है कि नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से राहु-केतु से जुड़े ग्रह दोष जैसे कालसर्प के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
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पिछले साल की तरह इस बार भी मंदिर में श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश और दर्शन की अनुमति नहीं है। मंदिर समिति ने महाकाल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से लाइव दर्शन की व्यवस्था की है। ये है ऑनलाइन दर्शन की लिंक- www.mahakaleshwar.nic.in
त्रिकाल पूजन की परंपरा
नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर (Nagchandreshwar Temple, Ujjain) की त्रिकाल पूजा की परंपरा है। त्रिकाल अर्थात तीन अलग-अलग समय पर होने वाली पूजा। प्रथम पूजा 12-13 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा की जाएगी। दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन 13 अगस्त को दोपहर 12 बजे शासन की ओर से अधिकारियों द्वारा की जाएगी। तीसरी पूजा 13 अगस्त को शाम 7.30 बजे भगवान महाकाल की संध्या आरती के बाद मंदिर समिति की ओर से महाकाल मंदिर के पुजारी करेंगे। 13 अगस्त की रात 12 बजे आरती के पश्चात मंदिर के पट पुन: एक वर्ष के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
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